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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
6120 | 96 | 14 | ألم يعلم بأن الله يرى |
| | | (तो नतीजा क्या होगा) क्या उसको ये मालूम नहीं कि ख़ुदा यक़ीनन देख रहा है |
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6121 | 96 | 15 | كلا لئن لم ينته لنسفعا بالناصية |
| | | देखो अगर वह बाज़ न आएगा तो हम परेशानी के पट्टे पकड़ के घसीटेंगे |
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6122 | 96 | 16 | ناصية كاذبة خاطئة |
| | | झूठे ख़तावार की पेशानी के पट्टे |
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6123 | 96 | 17 | فليدع ناديه |
| | | तो वह अपने याराने जलसा को बुलाए हम भी जल्लाद फ़रिश्ते को बुलाएँगे |
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6124 | 96 | 18 | سندع الزبانية |
| | | (ऐ रसूल) देखो हरगिज़ उनका कहना न मानना |
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6125 | 96 | 19 | كلا لا تطعه واسجد واقترب |
| | | और सजदे करते रहो और कुर्ब हासिल करो (19) (सजदा) |
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6126 | 97 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم إنا أنزلناه في ليلة القدر |
| | | हमने (इस कुरान) को शबे क़द्र में नाज़िल (करना शुरू) किया |
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6127 | 97 | 2 | وما أدراك ما ليلة القدر |
| | | और तुमको क्या मालूम शबे क़द्र क्या है |
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6128 | 97 | 3 | ليلة القدر خير من ألف شهر |
| | | शबे क़द्र (मरतबा और अमल में) हज़ार महीनो से बेहतर है |
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6129 | 97 | 4 | تنزل الملائكة والروح فيها بإذن ربهم من كل أمر |
| | | इस (रात) में फ़रिश्ते और जिबरील (साल भर की) हर बात का हुक्म लेकर अपने परवरदिगार के हुक्म से नाज़िल होते हैं |
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