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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
6103 | 95 | 5 | ثم رددناه أسفل سافلين |
| | | फिर हमने उसे (बूढ़ा करके रफ्ता रफ्ता) पस्त से पस्त हालत की तरफ फेर दिया |
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6104 | 95 | 6 | إلا الذين آمنوا وعملوا الصالحات فلهم أجر غير ممنون |
| | | मगर जो लोग ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे उनके लिए तो बे इन्तेहा अज्र व सवाब है |
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6105 | 95 | 7 | فما يكذبك بعد بالدين |
| | | तो (ऐ रसूल) इन दलीलों के बाद तुमको (रोज़े) जज़ा के बारे में कौन झुठला सकता है |
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6106 | 95 | 8 | أليس الله بأحكم الحاكمين |
| | | क्या ख़ुदा सबसे बड़ा हाकिम नहीं है (हाँ ज़रूर है) |
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6107 | 96 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم اقرأ باسم ربك الذي خلق |
| | | (ऐ रसूल) अपने परवरदिगार का नाम लेकर पढ़ो जिसने हर (चीज़ को) पैदा किया |
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6108 | 96 | 2 | خلق الإنسان من علق |
| | | उस ने इन्सान को जमे हुए ख़ून से पैदा किया पढ़ो |
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6109 | 96 | 3 | اقرأ وربك الأكرم |
| | | और तुम्हारा परवरदिगार बड़ा क़रीम है |
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6110 | 96 | 4 | الذي علم بالقلم |
| | | जिसने क़लम के ज़रिए तालीम दी |
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6111 | 96 | 5 | علم الإنسان ما لم يعلم |
| | | उसीने इन्सान को वह बातें बतायीं जिनको वह कुछ जानता ही न था |
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6112 | 96 | 6 | كلا إن الإنسان ليطغى |
| | | सुन रखो बेशक इन्सान जो अपने को ग़नी देखता है |
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