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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
6097 | 94 | 7 | فإذا فرغت فانصب |
| | | तो जब तुम फारिग़ हो जाओ तो मुक़र्रर कर दो |
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6098 | 94 | 8 | وإلى ربك فارغب |
| | | और फिर अपने परवरदिगार की तरफ रग़बत करो |
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6099 | 95 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم والتين والزيتون |
| | | इन्जीर और ज़ैतून की क़सम |
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6100 | 95 | 2 | وطور سينين |
| | | और तूर सीनीन की |
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6101 | 95 | 3 | وهذا البلد الأمين |
| | | और उस अमन वाले शहर (मक्का) की |
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6102 | 95 | 4 | لقد خلقنا الإنسان في أحسن تقويم |
| | | कि हमने इन्सान बहुत अच्छे कैड़े का पैदा किया |
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6103 | 95 | 5 | ثم رددناه أسفل سافلين |
| | | फिर हमने उसे (बूढ़ा करके रफ्ता रफ्ता) पस्त से पस्त हालत की तरफ फेर दिया |
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6104 | 95 | 6 | إلا الذين آمنوا وعملوا الصالحات فلهم أجر غير ممنون |
| | | मगर जो लोग ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे उनके लिए तो बे इन्तेहा अज्र व सवाब है |
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6105 | 95 | 7 | فما يكذبك بعد بالدين |
| | | तो (ऐ रसूल) इन दलीलों के बाद तुमको (रोज़े) जज़ा के बारे में कौन झुठला सकता है |
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6106 | 95 | 8 | أليس الله بأحكم الحاكمين |
| | | क्या ख़ुदा सबसे बड़ा हाकिम नहीं है (हाँ ज़रूर है) |
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