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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
6017 | 89 | 24 | يقول يا ليتني قدمت لحياتي |
| | | (उस वक्त) क़हेगा कि काश मैने अपनी (इस) ज़िन्दगी के वास्ते कुछ पहले भेजा होता |
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6018 | 89 | 25 | فيومئذ لا يعذب عذابه أحد |
| | | तो उस दिन ख़ुदा ऐसा अज़ाब करेगा कि किसी ने वैसा अज़ाब न किया होगा |
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6019 | 89 | 26 | ولا يوثق وثاقه أحد |
| | | और न कोई उसके जकड़ने की तरह जकड़ेगा |
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6020 | 89 | 27 | يا أيتها النفس المطمئنة |
| | | (और कुछ लोगों से कहेगा) ऐ इत्मेनान पाने वाली जान |
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6021 | 89 | 28 | ارجعي إلى ربك راضية مرضية |
| | | अपने परवरदिगार की तरफ़ चल तू उससे ख़ुश वह तुझ से राज़ी |
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6022 | 89 | 29 | فادخلي في عبادي |
| | | तो मेरे (ख़ास) बन्दों में शामिल हो जा |
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6023 | 89 | 30 | وادخلي جنتي |
| | | और मेरे बेहिश्त में दाख़िल हो जा |
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6024 | 90 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم لا أقسم بهذا البلد |
| | | मुझे इस शहर (मक्का) की कसम |
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6025 | 90 | 2 | وأنت حل بهذا البلد |
| | | और तुम इसी शहर में तो रहते हो |
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6026 | 90 | 3 | ووالد وما ولد |
| | | और (तुम्हारे) बाप (आदम) और उसकी औलाद की क़सम |
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