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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
599 | 4 | 106 | واستغفر الله إن الله كان غفورا رحيما |
| | | और (अपनी उम्मत के लिये) ख़ुदा से मग़फ़िरत की दुआ मॉगों बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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600 | 4 | 107 | ولا تجادل عن الذين يختانون أنفسهم إن الله لا يحب من كان خوانا أثيما |
| | | और (ऐ रसूल) तुम (उन बदमाशों) की तरफ़ होकर (लोगों से) न लड़ो जो अपने ही (लोगों) से दग़ाबाज़ी करते हैं बेशक ख़ुदा ऐसे शख्स को दोस्त नहीं रखता जो दग़ाबाज़ गुनाहगार हो |
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601 | 4 | 108 | يستخفون من الناس ولا يستخفون من الله وهو معهم إذ يبيتون ما لا يرضى من القول وكان الله بما يعملون محيطا |
| | | लोगों से तो अपनी शरारत छुपाते हैं और (ख़ुदा से नहीं छुपा सकते) हालॉकि वह तो उस वक्त भी उनके साथ साथ है जब वह लोग रातों को (बैठकर) उन बातों के मशवरे करते हैं जिनसे ख़ुदा राज़ी नहीं और ख़ुदा तो उनकी सब करतूतों को (इल्म के अहाते में) घेरे हुए है |
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602 | 4 | 109 | ها أنتم هؤلاء جادلتم عنهم في الحياة الدنيا فمن يجادل الله عنهم يوم القيامة أم من يكون عليهم وكيلا |
| | | (मुसलमानों) ख़बरदार हो जाओ भला दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी में तो तुम उनकी तरफ़ होकर लड़ने खडे हो गए (मगर ये तो बताओ) फिर क़यामत के दिन उनका तरफ़दार बनकर ख़ुदा से कौन लड़ेगा या कौन उनका वकील होगा |
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603 | 4 | 110 | ومن يعمل سوءا أو يظلم نفسه ثم يستغفر الله يجد الله غفورا رحيما |
| | | और जो शख्स कोई बुरा काम करे या (किसी तरह) अपने नफ्स पर ज़ुल्म करे उसके बाद ख़ुदा से अपनी मग़फ़िरत की दुआ मॉगे तो ख़ुदा को बड़ा बख्शने वाला मेहरबान पाएगा |
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604 | 4 | 111 | ومن يكسب إثما فإنما يكسبه على نفسه وكان الله عليما حكيما |
| | | और जो शख्स कोई गुनाह करता है तो उससे कुछ अपना ही नुक़सान करता है और ख़ुदा तो (हर चीज़ से) वाक़िफ़ (और) बड़ी तदबीर वाला है |
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605 | 4 | 112 | ومن يكسب خطيئة أو إثما ثم يرم به بريئا فقد احتمل بهتانا وإثما مبينا |
| | | और जो शख्स कोई ख़ता या गुनाह करे फिर उसे किसी बेक़सूर के सर थोपे तो उसने एक बड़े (इफ़तेरा) और सरीही गुनाह को अपने ऊपर लाद लिया |
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606 | 4 | 113 | ولولا فضل الله عليك ورحمته لهمت طائفة منهم أن يضلوك وما يضلون إلا أنفسهم وما يضرونك من شيء وأنزل الله عليك الكتاب والحكمة وعلمك ما لم تكن تعلم وكان فضل الله عليك عظيما |
| | | और (ऐ रसूल) अगर तुमपर ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो उन (बदमाशों) में से एक गिरोह तुमको गुमराह करने का ज़रूर क़सद करता हालॉकि वह लोग बस अपने आप को गुमराह कर रहे हैं और यह लोग तुम्हें कुछ भी ज़रर नहीं पहुंचा सकते और ख़ुदा ही ने तो (मेहरबानी की कि) तुमपर अपनी किताब और हिकमत नाज़िल की और जो बातें तुम नहीं जानते थे तुम्हें सिखा दी और तुम पर तो ख़ुदा का बड़ा फ़ज़ल है |
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607 | 4 | 114 | لا خير في كثير من نجواهم إلا من أمر بصدقة أو معروف أو إصلاح بين الناس ومن يفعل ذلك ابتغاء مرضات الله فسوف نؤتيه أجرا عظيما |
| | | (ऐ रसूल) उनके राज़ की बातों में अक्सर में भलाई (का तो नाम तक) नहीं मगर (हॉ) जो शख्स किसी को सदक़ा देने या अच्छे काम करे या लोगों के दरमियान मेल मिलाप कराने का हुक्म दे (तो अलबत्ता एक बात है) और जो शख्स (महज़) ख़ुदा की ख़ुशनूदी की ख्वाहिश में ऐसे काम करेगा तो हम अनक़रीब ही उसे बड़ा अच्छा बदला अता फरमाएंगे |
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608 | 4 | 115 | ومن يشاقق الرسول من بعد ما تبين له الهدى ويتبع غير سبيل المؤمنين نوله ما تولى ونصله جهنم وساءت مصيرا |
| | | और जो शख्स राहे रास्त के ज़ाहिर होने के बाद रसूल से सरकशी करे और मोमिनीन के तरीक़े के सिवा किसी और राह पर चले तो जिधर वह फिर गया है हम भी उधर ही फेर देंगे और (आख़िर) उसे जहन्नुम में झोंक देंगे और वह तो बहुत ही बुरा ठिकाना |
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