بسم الله الرحمن الرحيم

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5994106واستغفر الله إن الله كان غفورا رحيما
और (अपनी उम्मत के लिये) ख़ुदा से मग़फ़िरत की दुआ मॉगों बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
6004107ولا تجادل عن الذين يختانون أنفسهم إن الله لا يحب من كان خوانا أثيما
और (ऐ रसूल) तुम (उन बदमाशों) की तरफ़ होकर (लोगों से) न लड़ो जो अपने ही (लोगों) से दग़ाबाज़ी करते हैं बेशक ख़ुदा ऐसे शख्स को दोस्त नहीं रखता जो दग़ाबाज़ गुनाहगार हो
6014108يستخفون من الناس ولا يستخفون من الله وهو معهم إذ يبيتون ما لا يرضى من القول وكان الله بما يعملون محيطا
लोगों से तो अपनी शरारत छुपाते हैं और (ख़ुदा से नहीं छुपा सकते) हालॉकि वह तो उस वक्त भी उनके साथ साथ है जब वह लोग रातों को (बैठकर) उन बातों के मशवरे करते हैं जिनसे ख़ुदा राज़ी नहीं और ख़ुदा तो उनकी सब करतूतों को (इल्म के अहाते में) घेरे हुए है
6024109ها أنتم هؤلاء جادلتم عنهم في الحياة الدنيا فمن يجادل الله عنهم يوم القيامة أم من يكون عليهم وكيلا
(मुसलमानों) ख़बरदार हो जाओ भला दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी में तो तुम उनकी तरफ़ होकर लड़ने खडे हो गए (मगर ये तो बताओ) फिर क़यामत के दिन उनका तरफ़दार बनकर ख़ुदा से कौन लड़ेगा या कौन उनका वकील होगा
6034110ومن يعمل سوءا أو يظلم نفسه ثم يستغفر الله يجد الله غفورا رحيما
और जो शख्स कोई बुरा काम करे या (किसी तरह) अपने नफ्स पर ज़ुल्म करे उसके बाद ख़ुदा से अपनी मग़फ़िरत की दुआ मॉगे तो ख़ुदा को बड़ा बख्शने वाला मेहरबान पाएगा
6044111ومن يكسب إثما فإنما يكسبه على نفسه وكان الله عليما حكيما
और जो शख्स कोई गुनाह करता है तो उससे कुछ अपना ही नुक़सान करता है और ख़ुदा तो (हर चीज़ से) वाक़िफ़ (और) बड़ी तदबीर वाला है
6054112ومن يكسب خطيئة أو إثما ثم يرم به بريئا فقد احتمل بهتانا وإثما مبينا
और जो शख्स कोई ख़ता या गुनाह करे फिर उसे किसी बेक़सूर के सर थोपे तो उसने एक बड़े (इफ़तेरा) और सरीही गुनाह को अपने ऊपर लाद लिया
6064113ولولا فضل الله عليك ورحمته لهمت طائفة منهم أن يضلوك وما يضلون إلا أنفسهم وما يضرونك من شيء وأنزل الله عليك الكتاب والحكمة وعلمك ما لم تكن تعلم وكان فضل الله عليك عظيما
और (ऐ रसूल) अगर तुमपर ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो उन (बदमाशों) में से एक गिरोह तुमको गुमराह करने का ज़रूर क़सद करता हालॉकि वह लोग बस अपने आप को गुमराह कर रहे हैं और यह लोग तुम्हें कुछ भी ज़रर नहीं पहुंचा सकते और ख़ुदा ही ने तो (मेहरबानी की कि) तुमपर अपनी किताब और हिकमत नाज़िल की और जो बातें तुम नहीं जानते थे तुम्हें सिखा दी और तुम पर तो ख़ुदा का बड़ा फ़ज़ल है
6074114لا خير في كثير من نجواهم إلا من أمر بصدقة أو معروف أو إصلاح بين الناس ومن يفعل ذلك ابتغاء مرضات الله فسوف نؤتيه أجرا عظيما
(ऐ रसूल) उनके राज़ की बातों में अक्सर में भलाई (का तो नाम तक) नहीं मगर (हॉ) जो शख्स किसी को सदक़ा देने या अच्छे काम करे या लोगों के दरमियान मेल मिलाप कराने का हुक्म दे (तो अलबत्ता एक बात है) और जो शख्स (महज़) ख़ुदा की ख़ुशनूदी की ख्वाहिश में ऐसे काम करेगा तो हम अनक़रीब ही उसे बड़ा अच्छा बदला अता फरमाएंगे
6084115ومن يشاقق الرسول من بعد ما تبين له الهدى ويتبع غير سبيل المؤمنين نوله ما تولى ونصله جهنم وساءت مصيرا
और जो शख्स राहे रास्त के ज़ाहिर होने के बाद रसूल से सरकशी करे और मोमिनीन के तरीक़े के सिवा किसी और राह पर चले तो जिधर वह फिर गया है हम भी उधर ही फेर देंगे और (आख़िर) उसे जहन्नुम में झोंक देंगे और वह तो बहुत ही बुरा ठिकाना


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