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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5960 | 87 | 12 | الذي يصلى النار الكبرى |
| | | जो (क़यामत में) बड़ी (तेज़) आग में दाख़िल होगा |
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5961 | 87 | 13 | ثم لا يموت فيها ولا يحيى |
| | | फिर न वहाँ मरेगा ही न जीयेगा |
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5962 | 87 | 14 | قد أفلح من تزكى |
| | | वह यक़ीनन मुराद दिली को पहुँचा जो (शिर्क से) पाक हो |
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5963 | 87 | 15 | وذكر اسم ربه فصلى |
| | | और अपने परवरदिगार का ज़िक्र करता और नमाज़ पढ़ता रहा |
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5964 | 87 | 16 | بل تؤثرون الحياة الدنيا |
| | | मगर तुम लोग दुनियावी ज़िन्दगी को तरजीह देते हो |
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5965 | 87 | 17 | والآخرة خير وأبقى |
| | | हालॉकि आख़ोरत कहीं बेहतर और देर पा है |
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5966 | 87 | 18 | إن هذا لفي الصحف الأولى |
| | | बेशक यही बात अगले सहीफ़ों |
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5967 | 87 | 19 | صحف إبراهيم وموسى |
| | | इबराहीम और मूसा के सहीफ़ों में भी है |
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5968 | 88 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم هل أتاك حديث الغاشية |
| | | भला तुमको ढाँप लेने वाली मुसीबत (क़यामत) का हाल मालुम हुआ है |
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5969 | 88 | 2 | وجوه يومئذ خاشعة |
| | | उस दिन बहुत से चेहरे ज़लील रूसवा होंगे |
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