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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5950 | 87 | 2 | الذي خلق فسوى |
| | | जिसने (हर चीज़ को) पैदा किया |
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5951 | 87 | 3 | والذي قدر فهدى |
| | | और दुरूस्त किया और जिसने (उसका) अन्दाज़ा मुक़र्रर किया फिर राह बतायी |
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5952 | 87 | 4 | والذي أخرج المرعى |
| | | और जिसने (हैवानात के लिए) चारा उगाया |
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5953 | 87 | 5 | فجعله غثاء أحوى |
| | | फिर ख़ुश्क उसे सियाह रंग का कूड़ा कर दिया |
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5954 | 87 | 6 | سنقرئك فلا تنسى |
| | | हम तुम्हें (ऐसा) पढ़ा देंगे कि कभी भूलो ही नहीं |
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5955 | 87 | 7 | إلا ما شاء الله إنه يعلم الجهر وما يخفى |
| | | मगर जो ख़ुदा चाहे (मन्सूख़ कर दे) बेशक वह खुली बात को भी जानता है और छुपे हुए को भी |
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5956 | 87 | 8 | ونيسرك لليسرى |
| | | और हम तुमको आसान तरीके की तौफ़ीक़ देंगे |
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5957 | 87 | 9 | فذكر إن نفعت الذكرى |
| | | तो जहाँ तक समझाना मुफ़ीद हो समझते रहो |
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5958 | 87 | 10 | سيذكر من يخشى |
| | | जो खौफ रखता हो वह तो फौरी समझ जाएगा |
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5959 | 87 | 11 | ويتجنبها الأشقى |
| | | और बदबख्त उससे पहलू तही करेगा |
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