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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5903 | 84 | 19 | لتركبن طبقا عن طبق |
| | | कि तुम लोग ज़रूर एक सख्ती के बाद दूसरी सख्ती में फँसोगे |
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5904 | 84 | 20 | فما لهم لا يؤمنون |
| | | तो उन लोगों को क्या हो गया है कि ईमान नहीं ईमान नहीं लाते |
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5905 | 84 | 21 | وإذا قرئ عليهم القرآن لا يسجدون |
| | | और जब उनके सामने क़ुरान पढ़ा जाता है तो (ख़ुदा का) सजदा नहीं करते (21) (सजदा) |
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5906 | 84 | 22 | بل الذين كفروا يكذبون |
| | | बल्कि काफ़िर लोग तो (और उसे) झुठलाते हैं |
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5907 | 84 | 23 | والله أعلم بما يوعون |
| | | और जो बातें ये लोग अपने दिलों में छिपाते हैं ख़ुदा उसे ख़ूब जानता है |
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5908 | 84 | 24 | فبشرهم بعذاب أليم |
| | | तो (ऐ रसूल) उन्हें दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो |
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5909 | 84 | 25 | إلا الذين آمنوا وعملوا الصالحات لهم أجر غير ممنون |
| | | मगर जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे अच्छे काम किए उनके लिए बेइन्तिहा अज्र (व सवाब है) |
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5910 | 85 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم والسماء ذات البروج |
| | | बुर्ज़ों वाले आसमानों की क़सम |
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5911 | 85 | 2 | واليوم الموعود |
| | | और उस दिन की जिसका वायदा किया गया है |
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5912 | 85 | 3 | وشاهد ومشهود |
| | | और गवाह की और जिसकी गवाही दे जाएगी |
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