نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
588 | 4 | 95 | لا يستوي القاعدون من المؤمنين غير أولي الضرر والمجاهدون في سبيل الله بأموالهم وأنفسهم فضل الله المجاهدين بأموالهم وأنفسهم على القاعدين درجة وكلا وعد الله الحسنى وفضل الله المجاهدين على القاعدين أجرا عظيما |
| | | ईमानवालों में से वे लोग जो बिना किसी कारण के बैठे रहते है और जो अल्लाह के मार्ग में अपने धन और प्राणों के साथ जी-तोड़ कोशिश करते है, दोनों समान नहीं हो सकते। अल्लाह ने बैठे रहनेवालों की अपेक्षा अपने धन और प्राणों से जी-तोड़ कोशिश करनेवालों का दर्जा बढ़ा रखा है। यद्यपि प्रत्यके के लिए अल्लाह ने अच्छे बदले का वचन दिया है। परन्तु अल्लाह ने जी-तोड़ कोशिश करनेवालों का बड़ा बदला रखा है |
|
589 | 4 | 96 | درجات منه ومغفرة ورحمة وكان الله غفورا رحيما |
| | | उसकी ओर से दर्जे है और क्षमा और दयालुता है। और अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है |
|
590 | 4 | 97 | إن الذين توفاهم الملائكة ظالمي أنفسهم قالوا فيم كنتم قالوا كنا مستضعفين في الأرض قالوا ألم تكن أرض الله واسعة فتهاجروا فيها فأولئك مأواهم جهنم وساءت مصيرا |
| | | जो लोग अपने-आप पर अत्याचार करते है, जब फ़रिश्ते उस दशा में उनके प्राण ग्रस्त कर लेते है, तो कहते है, "तुम किस दशा में पड़े रहे?" वे कहते है, "हम धरती में निर्बल और बेबस थे।" फ़रिश्ते कहते है, "क्या अल्लाह की धरती विस्तृत न थी कि तुम उसमें घर-बार छोड़कर कहीं ओर चले जाते?" तो ये वही लोग है जिनका ठिकाना जहन्नम है। - और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है |
|
591 | 4 | 98 | إلا المستضعفين من الرجال والنساء والولدان لا يستطيعون حيلة ولا يهتدون سبيلا |
| | | सिवाय उन बेबस पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों के जिनके बस में कोई उपाय नहीं और न कोई राह पा रहे है; |
|
592 | 4 | 99 | فأولئك عسى الله أن يعفو عنهم وكان الله عفوا غفورا |
| | | तो सम्भव है कि अल्लाह ऐसे लोगों को छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह छोड़ देनेवाला और बड़ा क्षमाशील है |
|
593 | 4 | 100 | ومن يهاجر في سبيل الله يجد في الأرض مراغما كثيرا وسعة ومن يخرج من بيته مهاجرا إلى الله ورسوله ثم يدركه الموت فقد وقع أجره على الله وكان الله غفورا رحيما |
| | | जो कोई अल्लाह के मार्ग में घरबार छोड़कर निकलेगा, वह धरती में शरण लेने की बहुत जगह और समाई पाएगा, और जो कोई अपने घर में सब कुछ छोड़कर अल्लाह और उसके रसूल की ओर निकले और उसकी मृत्यु हो जाए, तो उसका प्रतिदान अल्लाह के ज़िम्मे हो गया। अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है |
|
594 | 4 | 101 | وإذا ضربتم في الأرض فليس عليكم جناح أن تقصروا من الصلاة إن خفتم أن يفتنكم الذين كفروا إن الكافرين كانوا لكم عدوا مبينا |
| | | और जब तुम धरती में यात्रा करो, तो इसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं कि नमाज़ को कुछ संक्षिप्त कर दो; यदि तुम्हें इस बात का भय हो कि विधर्मी लोग तुम्हें सताएँगे और कष्ट पहुँचाएँगे। निश्चय ही विधर्मी लोग तुम्हारे खुले शत्रु है |
|
595 | 4 | 102 | وإذا كنت فيهم فأقمت لهم الصلاة فلتقم طائفة منهم معك وليأخذوا أسلحتهم فإذا سجدوا فليكونوا من ورائكم ولتأت طائفة أخرى لم يصلوا فليصلوا معك وليأخذوا حذرهم وأسلحتهم ود الذين كفروا لو تغفلون عن أسلحتكم وأمتعتكم فيميلون عليكم ميلة واحدة ولا جناح عليكم إن كان بكم أذى من مطر أو كنتم مرضى أن تضعوا أسلحتكم وخذوا حذركم إن الله أعد للكافرين عذابا مهينا |
| | | और जब तुम उनके बीच हो और (लड़ाई की दशा में) उन्हें नमाज़ पढ़ाने के लिए खड़े हो, जो चाहिए कि उनमें से एक गिरोह के लोग तुम्हारे साथ खड़े हो जाएँ और अपने हथियार साथ लिए रहें, और फिर जब वे सजदा कर लें तो उन्हें चाहिए कि वे हटकर तुम्हारे पीछे हो जाएँ और दूसरे गिरोंह के लोग, जिन्होंने अभी नमाज़ नही पढ़ी, आएँ और तुम्हारे साथ नमाज़ पढ़े, और उन्हें भी चाहिए कि वे भी अपने बचाव के सामान और हथियार लिए रहें। विधर्मी चाहते ही है कि वे भी अपने हथियारों और सामान से असावधान हो जाओ तो वे तुम पर एक साथ टूट पड़े। यदि वर्षा के कारण तुम्हें तकलीफ़ होती हो या तुम बीमार हो, तो तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि अपने हथियार रख दो, फिर भी अपनी सुरक्षा का सामान लिए रहो। अल्लाह ने विधर्मियों के लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है |
|
596 | 4 | 103 | فإذا قضيتم الصلاة فاذكروا الله قياما وقعودا وعلى جنوبكم فإذا اطمأننتم فأقيموا الصلاة إن الصلاة كانت على المؤمنين كتابا موقوتا |
| | | फिर जब तुम नमाज़ अदा कर चुको तो खड़े, बैठे या लेटे अल्लाह को याद करते रहो। फिर जब तुम्हें इतमीनान हो जाए तो विधिवत रूप से नमाज़ पढ़ो। निस्संदेह ईमानवालों पर समय की पाबन्दी के साथ नमाज़ पढना अनिवार्य है |
|
597 | 4 | 104 | ولا تهنوا في ابتغاء القوم إن تكونوا تألمون فإنهم يألمون كما تألمون وترجون من الله ما لا يرجون وكان الله عليما حكيما |
| | | और उन लोगों का पीछा करने में सुस्ती न दिखाओ। यदि तुम्हें दुख पहुँचता है; तो उन्हें भी दुख पहुँचता है, जिस तरह तुमको दुख पहुँचता है। और तुम अल्लाह से उस चीज़ की आशा करते हो, जिस चीज़ की वे आशा नहीं करते। अल्लाह तो सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है |
|