نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5823 | 81 | 23 | ولقد رآه بالأفق المبين |
| | | और बेशक उन्होनें जिबरील को (आसमान के) खुले (शरक़ी) किनारे पर देखा है |
|
5824 | 81 | 24 | وما هو على الغيب بضنين |
| | | और वह ग़ैब की बातों के ज़ाहिर करने में बख़ील नहीं |
|
5825 | 81 | 25 | وما هو بقول شيطان رجيم |
| | | और न यह मरदूद शैतान का क़ौल है |
|
5826 | 81 | 26 | فأين تذهبون |
| | | फिर तुम कहाँ जाते हो |
|
5827 | 81 | 27 | إن هو إلا ذكر للعالمين |
| | | ये सारे जहॉन के लोगों के लिए बस नसीहत है |
|
5828 | 81 | 28 | لمن شاء منكم أن يستقيم |
| | | (मगर) उसी के लिए जो तुममें सीधी राह चले |
|
5829 | 81 | 29 | وما تشاءون إلا أن يشاء الله رب العالمين |
| | | और तुम तो सारे जहॉन के पालने वाले ख़ुदा के चाहे बग़ैर कुछ भी चाह नहीं सकते |
|
5830 | 82 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم إذا السماء انفطرت |
| | | जब आसमान तर्ख़ जाएगा |
|
5831 | 82 | 2 | وإذا الكواكب انتثرت |
| | | और जब तारे झड़ पड़ेंगे |
|
5832 | 82 | 3 | وإذا البحار فجرت |
| | | और जब दरिया बह (कर एक दूसरे से मिल) जाएँगे |
|