نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5804 | 81 | 4 | وإذا العشار عطلت |
| | | और जब अनक़रीब जनने वाली ऊंटनियों बेकार कर दी जाएंगी |
|
5805 | 81 | 5 | وإذا الوحوش حشرت |
| | | और जिस वक्त वहशी जानवर इकट्ठा किये जायेंगे |
|
5806 | 81 | 6 | وإذا البحار سجرت |
| | | और जिस वक्त दरिया आग हो जायेंगे |
|
5807 | 81 | 7 | وإذا النفوس زوجت |
| | | और जिस वक्त रुहें हवियों से मिला दी जाएंगी |
|
5808 | 81 | 8 | وإذا الموءودة سئلت |
| | | और जिस वक्त ज़िन्दा दर गोर लड़की से पूछा जाएगा |
|
5809 | 81 | 9 | بأي ذنب قتلت |
| | | कि वह किस गुनाह के बदले मारी गयी |
|
5810 | 81 | 10 | وإذا الصحف نشرت |
| | | और जिस वक्त (आमाल के) दफ्तर खोले जाएं |
|
5811 | 81 | 11 | وإذا السماء كشطت |
| | | और जिस वक्त आसमान का छिलका उतारा जाएगा |
|
5812 | 81 | 12 | وإذا الجحيم سعرت |
| | | और जब दोज़ख़ (की आग) भड़कायी जाएगी |
|
5813 | 81 | 13 | وإذا الجنة أزلفت |
| | | और जब बेहिश्त क़रीब कर दी जाएगी |
|