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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5750 | 79 | 38 | وآثر الحياة الدنيا |
| | | और दुनियावी ज़िन्दगी को तरजीह दी थी |
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5751 | 79 | 39 | فإن الجحيم هي المأوى |
| | | उसका ठिकाना तो यक़ीनन दोज़ख़ है |
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5752 | 79 | 40 | وأما من خاف مقام ربه ونهى النفس عن الهوى |
| | | मगर जो शख़्श अपने परवरदिगार के सामने खड़े होने से डरता और जी को नाजायज़ ख्वाहिशों से रोकता रहा |
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5753 | 79 | 41 | فإن الجنة هي المأوى |
| | | तो उसका ठिकाना यक़ीनन बेहश्त है |
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5754 | 79 | 42 | يسألونك عن الساعة أيان مرساها |
| | | (ऐ रसूल) लोग तुम से क़यामत के बारे में पूछते हैं |
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5755 | 79 | 43 | فيم أنت من ذكراها |
| | | कि उसका कहीं थल बेड़ा भी है |
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5756 | 79 | 44 | إلى ربك منتهاها |
| | | तो तुम उसके ज़िक्र से किस फ़िक्र में हो |
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5757 | 79 | 45 | إنما أنت منذر من يخشاها |
| | | उस (के इल्म) की इन्तेहा तुम्हारे परवरदिगार ही तक है तो तुम बस जो उससे डरे उसको डराने वाले हो |
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5758 | 79 | 46 | كأنهم يوم يرونها لم يلبثوا إلا عشية أو ضحاها |
| | | जिस दिन वह लोग इसको देखेंगे तो (समझेंगे कि दुनिया में) बस एक शाम या सुबह ठहरे थे |
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5759 | 80 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم عبس وتولى |
| | | वह अपनी बात पर चीं ब जबीं हो गया |
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