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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5744 | 79 | 32 | والجبال أرساها |
| | | और पहाड़ों को उसमें गाड़ दिया |
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5745 | 79 | 33 | متاعا لكم ولأنعامكم |
| | | (ये सब सामान) तुम्हारे और तुम्हारे चारपायो के फ़ायदे के लिए है |
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5746 | 79 | 34 | فإذا جاءت الطامة الكبرى |
| | | तो जब बड़ी सख्त मुसीबत (क़यामत) आ मौजूद होगी |
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5747 | 79 | 35 | يوم يتذكر الإنسان ما سعى |
| | | जिस दिन इन्सान अपने कामों को कुछ याद करेगा |
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5748 | 79 | 36 | وبرزت الجحيم لمن يرى |
| | | और जहन्नुम देखने वालों के सामने ज़ाहिर कर दी जाएगी |
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5749 | 79 | 37 | فأما من طغى |
| | | तो जिसने (दुनिया में) सर उठाया था |
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5750 | 79 | 38 | وآثر الحياة الدنيا |
| | | और दुनियावी ज़िन्दगी को तरजीह दी थी |
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5751 | 79 | 39 | فإن الجحيم هي المأوى |
| | | उसका ठिकाना तो यक़ीनन दोज़ख़ है |
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5752 | 79 | 40 | وأما من خاف مقام ربه ونهى النفس عن الهوى |
| | | मगर जो शख़्श अपने परवरदिगार के सामने खड़े होने से डरता और जी को नाजायज़ ख्वाहिशों से रोकता रहा |
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5753 | 79 | 41 | فإن الجنة هي المأوى |
| | | तो उसका ठिकाना यक़ीनन बेहश्त है |
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