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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5705 | 78 | 33 | وكواعب أترابا |
| | | और वह औरतें जिनकी उठती हुई जवानियाँ |
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5706 | 78 | 34 | وكأسا دهاقا |
| | | और बाहम हमजोलियाँ हैं और शराब के लबरेज़ साग़र |
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5707 | 78 | 35 | لا يسمعون فيها لغوا ولا كذابا |
| | | और शराब के लबरेज़ साग़र वहाँ न बेहूदा बात सुनेंगे और न झूठ |
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5708 | 78 | 36 | جزاء من ربك عطاء حسابا |
| | | (ये) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से काफ़ी इनाम और सिला है |
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5709 | 78 | 37 | رب السماوات والأرض وما بينهما الرحمن لا يملكون منه خطابا |
| | | जो सारे आसमान और ज़मीन और जो इन दोनों के बीच में है सबका मालिक है बड़ा मेहरबान लोगों को उससे बात का पूरा न होगा |
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5710 | 78 | 38 | يوم يقوم الروح والملائكة صفا لا يتكلمون إلا من أذن له الرحمن وقال صوابا |
| | | जिस दिन जिबरील और फरिश्ते (उसके सामने) पर बाँध कर खड़े होंगे (उस दिन) उससे कोई बात न कर सकेगा मगर जिसे ख़ुदा इजाज़त दे और वह ठिकाने की बात कहे |
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5711 | 78 | 39 | ذلك اليوم الحق فمن شاء اتخذ إلى ربه مآبا |
| | | वह दिन बरहक़ है तो जो शख़्श चाहे अपने परवरदिगार की बारगाह में (अपना) ठिकाना बनाए |
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5712 | 78 | 40 | إنا أنذرناكم عذابا قريبا يوم ينظر المرء ما قدمت يداه ويقول الكافر يا ليتني كنت ترابا |
| | | हमने तुम लोगों को अनक़रीब आने वाले अज़ाब से डरा दिया जिस दिन आदमी अपने हाथों पहले से भेजे हुए (आमाल) को देखेगा और काफ़िर कहेगा काश मैं ख़ाक हो जाता |
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5713 | 79 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم والنازعات غرقا |
| | | उन (फ़रिश्तों) की क़सम |
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5714 | 79 | 2 | والناشطات نشطا |
| | | जो (कुफ्फ़ार की रूह) डूब कर सख्ती से खींच लेते हैं |
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