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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5702 | 78 | 30 | فذوقوا فلن نزيدكم إلا عذابا |
| | | तो अब तुम मज़ा चखो हमतो तुम पर अज़ाब ही बढ़ाते जाएँगे |
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5703 | 78 | 31 | إن للمتقين مفازا |
| | | बेशक परहेज़गारों के लिए बड़ी कामयाबी है |
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5704 | 78 | 32 | حدائق وأعنابا |
| | | (यानि बेहश्त के) बाग़ और अंगूर |
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5705 | 78 | 33 | وكواعب أترابا |
| | | और वह औरतें जिनकी उठती हुई जवानियाँ |
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5706 | 78 | 34 | وكأسا دهاقا |
| | | और बाहम हमजोलियाँ हैं और शराब के लबरेज़ साग़र |
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5707 | 78 | 35 | لا يسمعون فيها لغوا ولا كذابا |
| | | और शराब के लबरेज़ साग़र वहाँ न बेहूदा बात सुनेंगे और न झूठ |
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5708 | 78 | 36 | جزاء من ربك عطاء حسابا |
| | | (ये) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से काफ़ी इनाम और सिला है |
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5709 | 78 | 37 | رب السماوات والأرض وما بينهما الرحمن لا يملكون منه خطابا |
| | | जो सारे आसमान और ज़मीन और जो इन दोनों के बीच में है सबका मालिक है बड़ा मेहरबान लोगों को उससे बात का पूरा न होगा |
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5710 | 78 | 38 | يوم يقوم الروح والملائكة صفا لا يتكلمون إلا من أذن له الرحمن وقال صوابا |
| | | जिस दिन जिबरील और फरिश्ते (उसके सामने) पर बाँध कर खड़े होंगे (उस दिन) उससे कोई बात न कर सकेगा मगर जिसे ख़ुदा इजाज़त दे और वह ठिकाने की बात कहे |
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5711 | 78 | 39 | ذلك اليوم الحق فمن شاء اتخذ إلى ربه مآبا |
| | | वह दिन बरहक़ है तो जो शख़्श चाहे अपने परवरदिगार की बारगाह में (अपना) ठिकाना बनाए |
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