بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
570477ألم تر إلى الذين قيل لهم كفوا أيديكم وأقيموا الصلاة وآتوا الزكاة فلما كتب عليهم القتال إذا فريق منهم يخشون الناس كخشية الله أو أشد خشية وقالوا ربنا لم كتبت علينا القتال لولا أخرتنا إلى أجل قريب قل متاع الدنيا قليل والآخرة خير لمن اتقى ولا تظلمون فتيلا
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिनसे कहा गया था कि अपने हाथ रोके रखो और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो? फिर जब उन्हें युद्ध का आदेश दिया गया तो क्या देखते है कि उनमें से कुछ लोगों का हाल यह है कि वे लोगों से ऐसा डरने लगे जैसे अल्लाह का डर हो या यह डर उससे भी बढ़कर हो। कहने लगे, "हमारे रब! तूने हमपर युद्ध क्यों अनिवार्य कर दिया? क्यों न थोड़ी मुहलत हमें और दी?" कह दो, "दुनिया की पूँजी बहुत थोड़ी है, जबकि आख़िरत उस व्यक्ति के अधिक अच्छी है जो अल्लाह का डर रखता हो और तुम्हारे साथ तनिक भी अन्याय न किया जाएगा।
571478أينما تكونوا يدرككم الموت ولو كنتم في بروج مشيدة وإن تصبهم حسنة يقولوا هذه من عند الله وإن تصبهم سيئة يقولوا هذه من عندك قل كل من عند الله فمال هؤلاء القوم لا يكادون يفقهون حديثا
"तुम जहाँ कहीं भी होंगे, मृत्यु तो तुम्हें आकर रहेगी; चाहे तुम मज़बूत बुर्जों (क़िलों) में ही (क्यों न) हो।" यदि उन्हें कोई अच्छी हालत पेश आती है तो कहते है, "यह तो अल्लाह के पास से है।" परन्तु यदि उन्हें कोई बुरी हालत पेश आती है तो कहते है, "यह तुम्हारे कारण है।" कह दो, "हरेक चीज़ अल्लाह के पास से है।" आख़िर इन लोगों को क्या हो गया कि ये ऐसे नहीं लगते कि कोई बात समझ सकें?
572479ما أصابك من حسنة فمن الله وما أصابك من سيئة فمن نفسك وأرسلناك للناس رسولا وكفى بالله شهيدا
तुम्हें जो भी भलाई प्राप्त" होती है, वह अल्लाह को ओर से है और जो बुरी हालत तुम्हें पेश आ जाती है तो वह तुम्हारे अपने ही कारण पेश आती है। हमने तुम्हें लोगों के लिए रसूल बनाकर भेजा है और (इसपर) अल्लाह का गवाह होना काफ़ी है
573480من يطع الرسول فقد أطاع الله ومن تولى فما أرسلناك عليهم حفيظا
जिसने रसूल की आज्ञा का पालन किया, उसने अल्लाह की आज्ञा का पालन किया और जिसने मुँह मोड़ा तो हमने तुम्हें ऐसे लोगों पर कोई रखवाला बनाकर तो नहीं भेजा है
574481ويقولون طاعة فإذا برزوا من عندك بيت طائفة منهم غير الذي تقول والله يكتب ما يبيتون فأعرض عنهم وتوكل على الله وكفى بالله وكيلا
और वे दावा तो आज्ञापालन का करते है, परन्तु जब तुम्हारे पास से हटते है तो उनमें एक गिरोह अपने कथन के विपरीत रात में षड्यंत्र करता है । जो कुछ वे षड्यंत्र करते है, अल्लाह उसे लिख रहा है। तो तुम उनसे रुख़ फेर लो और अल्लाह पर भरोसा रखो, और अल्लाह का कार्यसाधक होना काफ़ी है!
575482أفلا يتدبرون القرآن ولو كان من عند غير الله لوجدوا فيه اختلافا كثيرا
क्या वे क़ुरआन में सोच-विचार नहीं करते? यदि यह अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की ओर से होता, तो निश्चय ही वे इसमें बहुत-सी बेमेल बातें पाते
576483وإذا جاءهم أمر من الأمن أو الخوف أذاعوا به ولو ردوه إلى الرسول وإلى أولي الأمر منهم لعلمه الذين يستنبطونه منهم ولولا فضل الله عليكم ورحمته لاتبعتم الشيطان إلا قليلا
जब उनके पास निश्चिन्तता या भय की कोई बात पहुचती है तो उसे फैला देते है, हालाँकि अगर वे उसे रसूल और अपने समुदाय के उतरदायी व्यक्तियों तक पहुँचाते तो उसे वे लोग जान लेते जो उनमें उसकी जाँच कर सकते है। और यदि तुमपर अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी दयालुता न होती, तो थोड़े लोगों के सिवा तुम सब शैतान के पीछे चलने लग जाते
577484فقاتل في سبيل الله لا تكلف إلا نفسك وحرض المؤمنين عسى الله أن يكف بأس الذين كفروا والله أشد بأسا وأشد تنكيلا
अतः अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो - तुमपर तो बस तुम्हारी अपनी ही ज़िम्मेदारी है - और ईमानवालों की कमज़ोरियो को दूर करो और उन्हें (युद्ध के लिए) उभारो। इसकी बहुत सम्भावना है कि अल्लाह इनकार करनेवालों के ज़ोर को रोक लगा दे। अल्लाह बड़ा ज़ोरवाला और कठोर दंड देनेवाला है
578485من يشفع شفاعة حسنة يكن له نصيب منها ومن يشفع شفاعة سيئة يكن له كفل منها وكان الله على كل شيء مقيتا
जो कोई अच्छी सिफ़ारिश करेगा, उसे उसके कारण उसका प्रतिदान मिलेगा और जो बुरी सिफ़ारिश करेगा, तो उसके कारँ उसका बोझ उसपर पड़कर रहेगा। अल्लाह को तो हर चीज़ पर क़ाबू हासिल है
579486وإذا حييتم بتحية فحيوا بأحسن منها أو ردوها إن الله كان على كل شيء حسيبا
और तुम्हें जब सलामती की कोई दुआ दी जाए, तो तुम सलामती की उससे अच्छी दुआ दो या उसी को लौटा दो। निश्चय ही, अल्लाह हर चीज़ का हिसाब रखता है


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