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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5582 | 75 | 31 | فلا صدق ولا صلى |
| | | तो उसने (ग़फलत में) न (कलामे ख़ुदा की) तसदीक़ की न नमाज़ पढ़ी |
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5583 | 75 | 32 | ولكن كذب وتولى |
| | | मगर झुठलाया और (ईमान से) मुँह फेरा |
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5584 | 75 | 33 | ثم ذهب إلى أهله يتمطى |
| | | अपने घर की तरफ इतराता हुआ चला |
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5585 | 75 | 34 | أولى لك فأولى |
| | | अफसोस है तुझ पर फिर अफसोस है फिर तुफ़ है |
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5586 | 75 | 35 | ثم أولى لك فأولى |
| | | तुझ पर फिर तुफ़ है |
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5587 | 75 | 36 | أيحسب الإنسان أن يترك سدى |
| | | क्या इन्सान ये समझता है कि वह यूँ ही छोड़ दिया जाएगा |
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5588 | 75 | 37 | ألم يك نطفة من مني يمنى |
| | | क्या वह (इब्तेदन) मनी का एक क़तरा न था जो रहम में डाली जाती है |
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5589 | 75 | 38 | ثم كان علقة فخلق فسوى |
| | | फिर लोथड़ा हुआ फिर ख़ुदा ने उसे बनाया |
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5590 | 75 | 39 | فجعل منه الزوجين الذكر والأنثى |
| | | फिर उसे दुरूस्त किया फिर उसकी दो किस्में बनायीं (एक) मर्द और (एक) औरत |
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5591 | 75 | 40 | أليس ذلك بقادر على أن يحيي الموتى |
| | | क्या इस पर क़ादिर नहीं कि (क़यामत में) मुर्दों को ज़िन्दा कर दे |
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