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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5544 | 74 | 49 | فما لهم عن التذكرة معرضين |
| | | आख़िर उन्हें क्या हुआ है कि वे नसीहत से कतराते है, |
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5545 | 74 | 50 | كأنهم حمر مستنفرة |
| | | मानो वे बिदके हुए जंगली गधे है |
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5546 | 74 | 51 | فرت من قسورة |
| | | जो शेर से (डरकर) भागे है? |
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5547 | 74 | 52 | بل يريد كل امرئ منهم أن يؤتى صحفا منشرة |
| | | नहीं, बल्कि उनमें से प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे खुली किताबें दी जाएँ |
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5548 | 74 | 53 | كلا بل لا يخافون الآخرة |
| | | कदापि नहीं, बल्कि ले आख़िरत से डरते नहीं |
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5549 | 74 | 54 | كلا إنه تذكرة |
| | | कुछ नहीं, वह तो एक अनुस्मति है |
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5550 | 74 | 55 | فمن شاء ذكره |
| | | अब जो कोई चाहे इससे नसीहत हासिल करे, |
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5551 | 74 | 56 | وما يذكرون إلا أن يشاء الله هو أهل التقوى وأهل المغفرة |
| | | और वे नसीहत हासिल नहीं करेंगे। यह और बात है कि अल्लाह ही ऐसा चाहे। वही इस योग्य है कि उसका डर रखा जाए और इस योग्य भी कि क्षमा करे |
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5552 | 75 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم لا أقسم بيوم القيامة |
| | | नहीं, मैं क़सम खाता हूँ क़ियामत के दिन की, |
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5553 | 75 | 2 | ولا أقسم بالنفس اللوامة |
| | | और नहीं! मैं कसम खाता हूँ मलामत करनेवाली आत्मा की |
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