بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
55247429لواحة للبشر
खाल को झुलसा देनेवाली है,
55257430عليها تسعة عشر
उसपर उन्नीस (कार्यकर्ता) नियुक्त है
55267431وما جعلنا أصحاب النار إلا ملائكة وما جعلنا عدتهم إلا فتنة للذين كفروا ليستيقن الذين أوتوا الكتاب ويزداد الذين آمنوا إيمانا ولا يرتاب الذين أوتوا الكتاب والمؤمنون وليقول الذين في قلوبهم مرض والكافرون ماذا أراد الله بهذا مثلا كذلك يضل الله من يشاء ويهدي من يشاء وما يعلم جنود ربك إلا هو وما هي إلا ذكرى للبشر
और हमने उस आग पर नियुक्त रहनेवालों को फ़रिश्ते ही बनाया है, और हमने उनकी संख्या को इनकार करनेवालों के लिए मुसीबत और आज़माइश ही बनाकर रखा है। ताकि वे लोग जिन्हें किताब प्रदान की गई थी पूर्ण विश्वास प्राप्त करें, और वे लोग जो ईमान ले आए वे ईमान में और आगे बढ़ जाएँ। और जिन लोगों को किताब प्रदान की गई वे और ईमानवाले किसी संशय मे न पड़े, और ताकि जिनके दिलों मे रोग है वे और इनकार करनेवाले कहें, "इस वर्णन से अल्लाह का क्या अभिप्राय है?" इस प्रकार अल्लाह जिसे चाहता है पथभ्रष्ट कर देता है और जिसे चाहता हैं संमार्ग प्रदान करता है। और तुम्हारे रब की सेनाओं को स्वयं उसके सिवा कोई नहीं जानता, और यह तो मनुष्य के लिए मात्र एक शिक्षा-सामग्री है
55277432كلا والقمر
कुछ नहीं, साक्षी है चाँद
55287433والليل إذ أدبر
और साक्षी है रात जबकि वह पीठ फेर चुकी,
55297434والصبح إذا أسفر
और प्रातःकाल जबकि वह पूर्णरूपेण प्रकाशित हो जाए।
55307435إنها لإحدى الكبر
निश्चय ही वह भारी (भयंकर) चीज़ों में से एक है,
55317436نذيرا للبشر
मनुष्यों के लिए सावधानकर्ता के रूप में,
55327437لمن شاء منكم أن يتقدم أو يتأخر
तुममें से उस व्यक्ति के लिए जो आगे बढ़ना या पीछे हटना चाहे
55337438كل نفس بما كسبت رهينة
प्रत्येक व्यक्ति जो कुछ उसने कमाया उसके बदले रेहन (गिरवी) है,


0 ... 542.3 543.3 544.3 545.3 546.3 547.3 548.3 549.3 550.3 551.3 553.3 554.3 555.3 556.3 557.3 558.3 559.3 560.3 561.3 ... 623

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