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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5511 | 74 | 16 | كلا إنه كان لآياتنا عنيدا |
| | | ये हरगिज़ न होगा ये तो मेरी आयतों का दुश्मन था |
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5512 | 74 | 17 | سأرهقه صعودا |
| | | तो मैं अनक़रीब उस सख्त अज़ाब में मुब्तिला करूँगा |
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5513 | 74 | 18 | إنه فكر وقدر |
| | | उसने फिक्र की और ये तजवीज़ की |
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5514 | 74 | 19 | فقتل كيف قدر |
| | | तो ये (कम्बख्त) मार डाला जाए |
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5515 | 74 | 20 | ثم قتل كيف قدر |
| | | उसने क्यों कर तजवीज़ की |
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5516 | 74 | 21 | ثم نظر |
| | | फिर ग़ौर किया |
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5517 | 74 | 22 | ثم عبس وبسر |
| | | फिर त्योरी चढ़ाई और मुँह बना लिया |
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5518 | 74 | 23 | ثم أدبر واستكبر |
| | | फिर पीठ फेर कर चला गया और अकड़ बैठा |
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5519 | 74 | 24 | فقال إن هذا إلا سحر يؤثر |
| | | फिर कहने लगा ये बस जादू है जो (अगलों से) चला आता है |
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5520 | 74 | 25 | إن هذا إلا قول البشر |
| | | ये तो बस आदमी का कलाम है |
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