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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5490 | 73 | 15 | إنا أرسلنا إليكم رسولا شاهدا عليكم كما أرسلنا إلى فرعون رسولا |
| | | निश्चय ही हुमने तुम्हारी ओर एक रसूल तुमपर गवाह बनाकर भेजा है, जिस प्रकार हमने फ़़िरऔन की ओर एक रसूल भेजा था |
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5491 | 73 | 16 | فعصى فرعون الرسول فأخذناه أخذا وبيلا |
| | | किन्तु फ़िरऔन ने रसूल की अवज्ञा कि, तो हमने उसे पकड़ लिया और यह पकड़ सख़्त वबाल थी |
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5492 | 73 | 17 | فكيف تتقون إن كفرتم يوما يجعل الولدان شيبا |
| | | यदि तुमने इनकार किया तो उस दिन से कैसे बचोगे जो बच्चों को बूढा कर देगा? |
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5493 | 73 | 18 | السماء منفطر به كان وعده مفعولا |
| | | आकाश उसके कारण फटा पड़ रहा है, उसका वादा तो पूरा ही होना है |
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5494 | 73 | 19 | إن هذه تذكرة فمن شاء اتخذ إلى ربه سبيلا |
| | | निश्चय ही यह एक अनुस्मृति है। अब जो चाहे अपने रब की ओर मार्ग ग्रहण कर ले |
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5495 | 73 | 20 | إن ربك يعلم أنك تقوم أدنى من ثلثي الليل ونصفه وثلثه وطائفة من الذين معك والله يقدر الليل والنهار علم أن لن تحصوه فتاب عليكم فاقرءوا ما تيسر من القرآن علم أن سيكون منكم مرضى وآخرون يضربون في الأرض يبتغون من فضل الله وآخرون يقاتلون في سبيل الله فاقرءوا ما تيسر منه وأقيموا الصلاة وآتوا الزكاة وأقرضوا الله قرضا حسنا وما تقدموا لأنفسكم من خير تجدوه عند الله هو خيرا وأعظم أجرا واستغفروا الله إن الله غفور رحيم |
| | | निस्संदेह तुम्हारा रब जानता है कि तुम लगभग दो तिहाई रात, आधी रात और एक तिहाई रात तक (नमाज़ में) खड़े रहते हो, और एक गिरोंह उन लोगों में से भी जो तुम्हारे साथ है, खड़ा होता है। और अल्लाह रात और दिन की घट-बढ़ नियत करता है। उसे मालूम है कि तुम सब उसका निर्वाह न कर सकोगे, अतः उसने तुमपर दया-दृष्टि की। अब जितना क़ुरआन आसानी से हो सके पढ़ लिया करो। उसे मालूम है कि तुममे से कुछ बीमार भी होंगे, और कुछ दूसरे लोग अल्लाह के उदार अनुग्रह (रोज़ी) को ढूँढ़ते हुए धरती में यात्रा करेंगे, कुछ दूसरे लोग अल्लाह के मार्ग में युद्ध करेंगे। अतः उसमें से जितना आसानी से हो सके पढ़ लिया करो, और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात देते रहो, और अल्लाह को ऋण दो, अच्छा ऋण। तुम जो भलाई भी अपने लिए (आगे) भेजोगे उसे अल्लाह के यहाँ अत्युत्तम और प्रतिदान की दृष्टि से बहुत बढ़कर पाओगे। और अल्लाह से माफ़ी माँगते रहो। बेशक अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है |
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5496 | 74 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم يا أيها المدثر |
| | | ऐ ओढ़ने लपेटनेवाले! |
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5497 | 74 | 2 | قم فأنذر |
| | | उठो, और सावधान करने में लग जाओ |
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5498 | 74 | 3 | وربك فكبر |
| | | और अपने रब की बड़ाई ही करो |
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5499 | 74 | 4 | وثيابك فطهر |
| | | अपने दामन को पाक रखो |
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