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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5454 | 72 | 7 | وأنهم ظنوا كما ظننتم أن لن يبعث الله أحدا |
| | | और ये कि जैसा तुम्हारा ख्याल है वैसा उनका भी एतक़ाद था कि ख़ुदा हरगिज़ किसी को दोबारा नहीं ज़िन्दा करेगा |
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5455 | 72 | 8 | وأنا لمسنا السماء فوجدناها ملئت حرسا شديدا وشهبا |
| | | और ये कि हमने आसमान को टटोला तो उसको भी बहुत क़वी निगेहबानों और शोलो से भरा हुआ पाया |
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5456 | 72 | 9 | وأنا كنا نقعد منها مقاعد للسمع فمن يستمع الآن يجد له شهابا رصدا |
| | | और ये कि पहले हम वहाँ बहुत से मक़ामात में (बातें) सुनने के लिए बैठा करते थे मगर अब कोई सुनना चाहे तो अपने लिए शोले तैयार पाएगा |
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5457 | 72 | 10 | وأنا لا ندري أشر أريد بمن في الأرض أم أراد بهم ربهم رشدا |
| | | और ये कि हम नहीं समझते कि उससे अहले ज़मीन के हक़ में बुराई मक़सूद है या उनके परवरदिगार ने उनकी भलाई का इरादा किया है |
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5458 | 72 | 11 | وأنا منا الصالحون ومنا دون ذلك كنا طرائق قددا |
| | | और ये कि हममें से कुछ लोग तो नेकोकार हैं और कुछ लोग और तरह के हम लोगों के भी तो कई तरह के फिरकें हैं |
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5459 | 72 | 12 | وأنا ظننا أن لن نعجز الله في الأرض ولن نعجزه هربا |
| | | और ये कि हम समझते थे कि हम ज़मीन में (रह कर) ख़ुदा को हरगिज़ हरा नहीं सकते हैं और न भाग कर उसको आजिज़ कर सकते हैं |
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5460 | 72 | 13 | وأنا لما سمعنا الهدى آمنا به فمن يؤمن بربه فلا يخاف بخسا ولا رهقا |
| | | और ये कि जब हमने हिदायत (की किताब) सुनी तो उन पर ईमान लाए तो जो शख़्श अपने परवरदिगार पर ईमान लाएगा तो उसको न नुक़सान का ख़ौफ़ है और न ज़ुल्म का |
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5461 | 72 | 14 | وأنا منا المسلمون ومنا القاسطون فمن أسلم فأولئك تحروا رشدا |
| | | और ये कि हम में से कुछ लोग तो फ़रमाबरदार हैं और कुछ लोग नाफ़रमान तो जो लोग फ़रमाबरदार हैं तो वह सीधे रास्ते पर चलें और रहें |
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5462 | 72 | 15 | وأما القاسطون فكانوا لجهنم حطبا |
| | | नाफरमान तो वह जहन्नुम के कुन्दे बने |
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5463 | 72 | 16 | وأن لو استقاموا على الطريقة لأسقيناهم ماء غدقا |
| | | और (ऐ रसूल तुम कह दो) कि अगर ये लोग सीधी राह पर क़ायम रहते तो हम ज़रूर उनको अलग़ारों पानी से सेराब करते |
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