بسم الله الرحمن الرحيم

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5425716فلم يزدهم دعائي إلا فرارا
"किन्तु मेरी पुकार ने उनके पलायन को ही बढ़ाया
5426717وإني كلما دعوتهم لتغفر لهم جعلوا أصابعهم في آذانهم واستغشوا ثيابهم وأصروا واستكبروا استكبارا
"और जब भी मैंने उन्हें बुलाया, ताकि तू उन्हें क्षमा कर दे, तो उन्होंने अपने कानों में अपनी उँगलियाँ दे लीं और अपने कपड़ो से स्वयं को ढाँक लिया और अपनी हठ पर अड़ गए और बड़ा ही घमंड किया
5427718ثم إني دعوتهم جهارا
"फिर मैंने उन्हें खुल्लमखुल्ला बुलाया,
5428719ثم إني أعلنت لهم وأسررت لهم إسرارا
"फिर मैंने उनसे खुले तौर पर भी बातें की और उनसे चुपके-चुपके भी बातें की
54297110فقلت استغفروا ربكم إنه كان غفارا
"और मैंने कहा, अपने रब से क्षमा की प्रार्थना करो। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील है,
54307111يرسل السماء عليكم مدرارا
"वह बादल भेजेगा तुमपर ख़ूब बरसनेवाला,
54317112ويمددكم بأموال وبنين ويجعل لكم جنات ويجعل لكم أنهارا
"और वह माल और बेटों से तुम्हें बढ़ोतरी प्रदान करेगा, और तुम्हारे लिए बाग़ पैदा करेगा और तुम्हारे लिए नहरें प्रवाहित करेगा
54327113ما لكم لا ترجون لله وقارا
"तुम्हें क्या हो गया है कि तुम (अपने दिलों में) अल्लाह के लिए किसी गौरव की आशा नहीं रखते?
54337114وقد خلقكم أطوارا
"हालाँकि उसने तुम्हें विभिन्न अवस्थाओं से गुज़ारते हुए पैदा किया
54347115ألم تروا كيف خلق الله سبع سماوات طباقا
"क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने किस प्रकार ऊपर तले सात आकाश बनाए,


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