نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
542 | 4 | 49 | ألم تر إلى الذين يزكون أنفسهم بل الله يزكي من يشاء ولا يظلمون فتيلا |
| | | (ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर नज़र नहीं की जो आप बड़े मुक़द्दस बनते हैं (मगर उससे क्या होता है) बल्कि ख़ुदा जिसे चाहता है मुक़द्दस बनाता है और ज़ुल्म तो किसी पर धागे के बराबर हो ही गा नहीं |
|
543 | 4 | 50 | انظر كيف يفترون على الله الكذب وكفى به إثما مبينا |
| | | (ऐ रसूल) ज़रा देखो तो ये लोग ख़ुदा पर कैसे कैसे झूठ तूफ़ान जोड़ते हैं और खुल्लम खुल्ला गुनाह के वास्ते तो यही काफ़ी है |
|
544 | 4 | 51 | ألم تر إلى الذين أوتوا نصيبا من الكتاب يؤمنون بالجبت والطاغوت ويقولون للذين كفروا هؤلاء أهدى من الذين آمنوا سبيلا |
| | | (ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के (हाल पर) नज़र नहीं की जिन्हें किताबे ख़ुदा का कुछ हिस्सा दिया गया था और (फिर) शैतान और बुतों का कलमा पढ़ने लगे और जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया है उनकी निस्बत कहने लगे कि ये तो ईमान लाने वालों से ज्यादा राहे रास्त पर हैं |
|
545 | 4 | 52 | أولئك الذين لعنهم الله ومن يلعن الله فلن تجد له نصيرا |
| | | (ऐ रसूल) यही वह लोग हैं जिनपर ख़ुदा ने लानत की है और जिस पर ख़ुदा ने लानत की है तुम उनका मददगार हरगिज़ किसी को न पाओगे |
|
546 | 4 | 53 | أم لهم نصيب من الملك فإذا لا يؤتون الناس نقيرا |
| | | क्या (दुनिया) की सल्तनत में कुछ उनका भी हिस्सा है कि इस वजह से लोगों को भूसी भर भी न देंगे |
|
547 | 4 | 54 | أم يحسدون الناس على ما آتاهم الله من فضله فقد آتينا آل إبراهيم الكتاب والحكمة وآتيناهم ملكا عظيما |
| | | या ख़ुदा ने जो अपने फ़ज़ल से (तुम) लोगों को (कुरान) अता फ़रमाया है इसके रश्क पर चले जाते हैं (तो उसका क्या इलाज है) हमने तो इबराहीम की औलाद को किताब और अक्ल की बातें अता फ़रमायी हैं और उनको बहुत बड़ी सल्तनत भी दी |
|
548 | 4 | 55 | فمنهم من آمن به ومنهم من صد عنه وكفى بجهنم سعيرا |
| | | फिर कुछ लोग तो इस (किताब) पर ईमान लाए और कुछ लोगों ने उससे इन्कार किया और इसकी सज़ा के लिए जहन्नुम की दहकती हुई आग काफ़ी है |
|
549 | 4 | 56 | إن الذين كفروا بآياتنا سوف نصليهم نارا كلما نضجت جلودهم بدلناهم جلودا غيرها ليذوقوا العذاب إن الله كان عزيزا حكيما |
| | | (याद रहे) कि जिन लोगों ने हमारी आयतों से इन्कार किया उन्हें ज़रूर अनक़रीब जहन्नुम की आग में झोंक देंगे (और जब उनकी खालें जल कर) जल जाएंगी तो हम उनके लिए दूसरी खालें बदल कर पैदा करे देंगे ताकि वह अच्छी तरह अज़ाब का मज़ा चखें बेशक ख़ुदा हरचीज़ पर ग़ालिब और हिकमत वाला है |
|
550 | 4 | 57 | والذين آمنوا وعملوا الصالحات سندخلهم جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها أبدا لهم فيها أزواج مطهرة وندخلهم ظلا ظليلا |
| | | और जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम किए हम उनको अनक़रीब ही (बेहिश्त के) ऐसे ऐसे (हरे भरे) बाग़ों में जा पहुंचाएंगे जिन के नीचे नहरें जारी होंगी और उनमें हमेशा रहेंगे वहां उनकी साफ़ सुथरी बीवियॉ होंगी और उन्हे घनी छॉव में ले जाकर रखेंगे |
|
551 | 4 | 58 | إن الله يأمركم أن تؤدوا الأمانات إلى أهلها وإذا حكمتم بين الناس أن تحكموا بالعدل إن الله نعما يعظكم به إن الله كان سميعا بصيرا |
| | | ऐ ईमानदारों ख़ुदा तुम्हें हुक्म देता है कि लोगों की अमानतें अमानत रखने वालों के हवाले कर दो और जब लोगों के बाहमी झगड़ों का फैसला करने लगो तो इन्साफ़ से फैसला करो (ख़ुदा तुमको) इसकी क्या ही अच्छी नसीहत करता है इसमें तो शक नहीं कि ख़ुदा सबकी सुनता है (और सब कुछ) देखता है |
|