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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
540 | 4 | 47 | يا أيها الذين أوتوا الكتاب آمنوا بما نزلنا مصدقا لما معكم من قبل أن نطمس وجوها فنردها على أدبارها أو نلعنهم كما لعنا أصحاب السبت وكان أمر الله مفعولا |
| | | ऐ लोगों! जिन्हें किताब दी गई, उस चीज को मानो जो हमने उतारी है, जो उसकी पुष्टि में है, जो स्वयं तुम्हारे पास है, इससे पहले कि हम चेहरों की रूपरेखा को मिटाकर रख दें और उन्हें उनके पीछ की ओर फेर दें या उनपर लानत करें, जिस प्रकार हमने सब्तवालों पर लानत की थी। और अल्लाह का आदेश तो लागू होकर ही रहता है |
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541 | 4 | 48 | إن الله لا يغفر أن يشرك به ويغفر ما دون ذلك لمن يشاء ومن يشرك بالله فقد افترى إثما عظيما |
| | | अल्लाह इसके क्षमा नहीं करेगा कि उसका साझी ठहराया जाए। किन्तु उससे नीचे दर्जे के अपराध को जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा और जिस किसी ने अल्लाह का साझी ठहराया, तो उसने एक बड़ा झूठ घड़ लिया |
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542 | 4 | 49 | ألم تر إلى الذين يزكون أنفسهم بل الله يزكي من يشاء ولا يظلمون فتيلا |
| | | क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो अपने को पूर्ण एवं शिष्ट होने का दावा करते हैं? (कोई यूँ ही शिष्ट नहीं हुआ करता) बल्कि अल्लाह ही जिसे चाहता है, पूर्णता एवं शिष्टता प्रदान करता है। और उनके साथ तनिक भी अत्याचार नहीं किया जाता |
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543 | 4 | 50 | انظر كيف يفترون على الله الكذب وكفى به إثما مبينا |
| | | देखो तो सही, वे अल्लाह पर कैसा झूठ मढ़ते हैं? खुले गुनाह के लिए तो यही पर्याप्त है |
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544 | 4 | 51 | ألم تر إلى الذين أوتوا نصيبا من الكتاب يؤمنون بالجبت والطاغوت ويقولون للذين كفروا هؤلاء أهدى من الذين آمنوا سبيلا |
| | | क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें किताब का एक हिस्सा दिय् गया? वे अवास्तविक चीज़ो और ताग़ूत (बढ़ हुए सरकश) को मानते है। और अधर्मियों के विषय में कहते है, "ये ईमानवालों से बढ़कर मार्ग पर है।" |
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545 | 4 | 52 | أولئك الذين لعنهم الله ومن يلعن الله فلن تجد له نصيرا |
| | | वही है जिनपर अल्लाह ने लातन की है, और जिसपर अल्लाह लानत कर दे, उसका तुम कोई सहायक कदापि न पाओगे |
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546 | 4 | 53 | أم لهم نصيب من الملك فإذا لا يؤتون الناس نقيرا |
| | | या बादशाही में इनका कोई हिस्सा है? फिर तो ये लोगों को फूटी कौड़ी तक भी न देते |
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547 | 4 | 54 | أم يحسدون الناس على ما آتاهم الله من فضله فقد آتينا آل إبراهيم الكتاب والحكمة وآتيناهم ملكا عظيما |
| | | या ये लोगों से इसलिए ईर्ष्या करते है कि अल्लाह ने उन्हें अपने उदार दान से अनुग्रहित कर दिया? हमने तो इबराहीम के लोगों को किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) दी और उन्हें बड़ा राज्य प्रदान किया |
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548 | 4 | 55 | فمنهم من آمن به ومنهم من صد عنه وكفى بجهنم سعيرا |
| | | फिर उनमें से कोई उसपर ईमान लाया और उसमें से किसी ने किनारा खीच लिया। और (ऐसे लोगों के लिए) जहन्नम की भड़कती आग ही काफ़ी है |
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549 | 4 | 56 | إن الذين كفروا بآياتنا سوف نصليهم نارا كلما نضجت جلودهم بدلناهم جلودا غيرها ليذوقوا العذاب إن الله كان عزيزا حكيما |
| | | जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, उन्हें हम जल्द ही आग में झोंकेंगे। जब भी उनकी खालें पक जाएँगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों में बदल दिया करेंगे, ताकि वे यातना का मज़ा चखते ही रहें। निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है |
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