بسم الله الرحمن الرحيم

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535442يومئذ يود الذين كفروا وعصوا الرسول لو تسوى بهم الأرض ولا يكتمون الله حديثا
उस दिन जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया और रसूल की नाफ़रमानी की ये आरज़ू करेंगे कि काश (वह पेवन्दे ख़ाक हो जाते) और उनके ऊपर से ज़मीन बराबर कर दी जाती और अफ़सोस ये लोग ख़ुदा से कोई बात उस दिन छुपा भी न सकेंगे
536443يا أيها الذين آمنوا لا تقربوا الصلاة وأنتم سكارى حتى تعلموا ما تقولون ولا جنبا إلا عابري سبيل حتى تغتسلوا وإن كنتم مرضى أو على سفر أو جاء أحد منكم من الغائط أو لامستم النساء فلم تجدوا ماء فتيمموا صعيدا طيبا فامسحوا بوجوهكم وأيديكم إن الله كان عفوا غفورا
ऐ ईमानदारों तुम नशे की हालत में नमाज़ के क़रीब न जाओ ताकि तुम जो कुछ मुंह से कहो समझो भी तो और न जिनाबत की हालत में यहॉ तक कि ग़ुस्ल कर लो मगर राह गुज़र में हो (और गुस्ल मुमकिन नहीं है तो अलबत्ता ज़रूरत नहीं) बल्कि अगर तुम मरीज़ हो और पानी नुक़सान करे या सफ़र में हो तुममें से किसी का पैख़ाना निकल आए या औरतों से सोहबत की हो और तुमको पानी न मयस्सर हो (कि तहारत करो) तो पाक मिट्टी पर तैमूम कर लो और (उस का तरीक़ा ये है कि) अपने मुंह और हाथों पर मिट्टी भरा हाथ फेरो तो बेशक ख़ुदा माफ़ करने वाला है (और) बख्श ने वाला है
537444ألم تر إلى الذين أوتوا نصيبا من الكتاب يشترون الضلالة ويريدون أن تضلوا السبيل
(ऐ रसूल) क्या तूमने उन लोगों के हाल पर नज़र नहीं की जिन्हें किताबे ख़ुदा का कुछ हिस्सा दिया गया था (मगर) वह लोग (हिदायत के बदले) गुमराही ख़रीदने लगे उनकी ऐन मुराद यह है कि तुम भी राहे रास्त से बहक जाओ
538445والله أعلم بأعدائكم وكفى بالله وليا وكفى بالله نصيرا
और ख़ुदा तुम्हारे दुशमनों से ख़ूब वाक़िफ़ है और दोस्ती के लिए बस ख़ुदा काफ़ी है और हिमायत के वास्ते भी ख़ुदा ही काफ़ी है
539446من الذين هادوا يحرفون الكلم عن مواضعه ويقولون سمعنا وعصينا واسمع غير مسمع وراعنا ليا بألسنتهم وطعنا في الدين ولو أنهم قالوا سمعنا وأطعنا واسمع وانظرنا لكان خيرا لهم وأقوم ولكن لعنهم الله بكفرهم فلا يؤمنون إلا قليلا
(ऐ रसूल) यहूद से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बातों में उनके महल व मौक़े से हेर फेर डाल देते हैं और अपनी ज़बानों को मरोड़कर और दीन पर तानाज़नी की राह से तुमसे समेअना व असैना (हमने सुना और नाफ़रमानी की) और वसमअ गैरा मुसमइन (तुम मेरी सुनो ख़ुदा तुमको न सुनवाए) राअना मेरा ख्याल करो मेरे चरवाहे कहा करते हैं और अगर वह इसके बदले समेअना व अताअना (हमने सुना और माना) और इसमाआ (मेरी सुनो) और (राअना) के एवज़ उनजुरना (हमपर निगाह रख) कहते तो उनके हक़ में कहीं बेहतर होता और बिल्कुल सीधी बात थी मगर उनपर तो उनके कुफ़्र की वजह से ख़ुदा की फ़िटकार है
540447يا أيها الذين أوتوا الكتاب آمنوا بما نزلنا مصدقا لما معكم من قبل أن نطمس وجوها فنردها على أدبارها أو نلعنهم كما لعنا أصحاب السبت وكان أمر الله مفعولا
पस उनमें से चन्द लोगों के सिवा और लोग ईमान ही न लाएंगे ऐ अहले किताब जो (किताब) हमने नाज़िल की है और उस (किताब) की भी तस्दीक़ करती है जो तुम्हारे पास है उस पर ईमान लाओ मगर क़ब्ल इसके कि हम कुछ लोगों के चेहरे बिगाड़कर उनके पुश्त की तरफ़ फेर दें या जिस तरह हमने असहाबे सबत (हफ्ते वालों) पर फिटकार बरसायी वैसी ही फिटकार उनपर भी करें
541448إن الله لا يغفر أن يشرك به ويغفر ما دون ذلك لمن يشاء ومن يشرك بالله فقد افترى إثما عظيما
और ख़ुदा का हुक्म किया कराया हुआ काम समझो ख़ुदा उस जुर्म को तो अलबत्ता नहीं माफ़ करता कि उसके साथ शिर्क किया जाए हॉ उसके सिवा जो गुनाह हो जिसको चाहे माफ़ कर दे और जिसने (किसी को) ख़ुदा का शरीक बनाया तो उसने बड़े गुनाह का तूफान बॉधा
542449ألم تر إلى الذين يزكون أنفسهم بل الله يزكي من يشاء ولا يظلمون فتيلا
(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर नज़र नहीं की जो आप बड़े मुक़द्दस बनते हैं (मगर उससे क्या होता है) बल्कि ख़ुदा जिसे चाहता है मुक़द्दस बनाता है और ज़ुल्म तो किसी पर धागे के बराबर हो ही गा नहीं
543450انظر كيف يفترون على الله الكذب وكفى به إثما مبينا
(ऐ रसूल) ज़रा देखो तो ये लोग ख़ुदा पर कैसे कैसे झूठ तूफ़ान जोड़ते हैं और खुल्लम खुल्ला गुनाह के वास्ते तो यही काफ़ी है
544451ألم تر إلى الذين أوتوا نصيبا من الكتاب يؤمنون بالجبت والطاغوت ويقولون للذين كفروا هؤلاء أهدى من الذين آمنوا سبيلا
(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के (हाल पर) नज़र नहीं की जिन्हें किताबे ख़ुदा का कुछ हिस्सा दिया गया था और (फिर) शैतान और बुतों का कलमा पढ़ने लगे और जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया है उनकी निस्बत कहने लगे कि ये तो ईमान लाने वालों से ज्यादा राहे रास्त पर हैं


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