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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
531 | 4 | 38 | والذين ينفقون أموالهم رئاء الناس ولا يؤمنون بالله ولا باليوم الآخر ومن يكن الشيطان له قرينا فساء قرينا |
| | | वे जो अपने माल लोगों को दिखाने के लिए ख़र्च करते है, न अल्लाह पर ईमान रखते है, न अन्तिम दिन पर, और जिस किसी का साथी शैतान हुआ, तो वह बहुत ही बुरा साथी है |
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532 | 4 | 39 | وماذا عليهم لو آمنوا بالله واليوم الآخر وأنفقوا مما رزقهم الله وكان الله بهم عليما |
| | | उनका बिगड़ जाता, यदि वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाते और जो कुछ अल्लाह ने उन्हें दिया है, उसमें से ख़र्च करते है? अल्लाह उन्हें भली-भाँति जानता है |
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533 | 4 | 40 | إن الله لا يظلم مثقال ذرة وإن تك حسنة يضاعفها ويؤت من لدنه أجرا عظيما |
| | | निस्संदेह अल्लाह रत्ती-भर भी ज़ुल्म नहीं करता और यदि कोई एक नेकी हो तो वह उसे कई गुना बढ़ा देगा और अपनी ओर से बड़ा बदला देगा |
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534 | 4 | 41 | فكيف إذا جئنا من كل أمة بشهيد وجئنا بك على هؤلاء شهيدا |
| | | फिर क्या हाल होगा जब हम प्रत्येक समुदाय में से एक गवाह लाएँगे और स्वयं तुम्हें इन लोगों के मुक़ाबले में गवाह बनाकर पेश करेंगे? |
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535 | 4 | 42 | يومئذ يود الذين كفروا وعصوا الرسول لو تسوى بهم الأرض ولا يكتمون الله حديثا |
| | | उस दिन वे लोग जिन्होंने इनकार किया होगा और रसूल की अवज्ञा की होगी, यही चाहेंगे कि किसी तरह धरती में समोकर उसे बराबर कर दिया जाए। वे अल्लाह से कोई बात भी न छिपा सकेंगे |
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536 | 4 | 43 | يا أيها الذين آمنوا لا تقربوا الصلاة وأنتم سكارى حتى تعلموا ما تقولون ولا جنبا إلا عابري سبيل حتى تغتسلوا وإن كنتم مرضى أو على سفر أو جاء أحد منكم من الغائط أو لامستم النساء فلم تجدوا ماء فتيمموا صعيدا طيبا فامسحوا بوجوهكم وأيديكم إن الله كان عفوا غفورا |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! नशे की दशा में नमाज़ में व्यस्त न हो, जब तक कि तुम यह न जानने लगो कि तुम क्या कह रहे हो। और इसी प्रकार नापाकी की दशा में भी (नमाज़ में व्यस्त न हो), जब तक कि तुम स्नान न कर लो, सिवाय इसके कि तुम सफ़र में हो। और यदि तुम बीमार हो या सफ़र में हो, या तुममें से कोई शौच करके आए या तुमने स्त्रियों को हाथ लगाया हो, फिर तुम्हें पानी न मिले, तो पाक मिट्टी से काम लो और उसपर हाथ मारकर अपने चहरे और हाथों पर मलो। निस्संदेह अल्लाह नर्मी से काम लेनेवाला, अत्यन्त क्षमाशील है |
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537 | 4 | 44 | ألم تر إلى الذين أوتوا نصيبا من الكتاب يشترون الضلالة ويريدون أن تضلوا السبيل |
| | | क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें सौभाग्य प्रदान हुआ था अर्थात किताब दी गई थी? वे पथभ्रष्टता के खरीदार बने हुए है और चाहते है कि तुम भी रास्ते से भटक जाओ |
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538 | 4 | 45 | والله أعلم بأعدائكم وكفى بالله وليا وكفى بالله نصيرا |
| | | अल्लाह तुम्हारे शत्रुओं को भली-भाँति जानता है। अल्लाह एक संरक्षक के रूप में काफ़ी है और अल्लाह एक सहायक के रूप में भी काफ़ी है |
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539 | 4 | 46 | من الذين هادوا يحرفون الكلم عن مواضعه ويقولون سمعنا وعصينا واسمع غير مسمع وراعنا ليا بألسنتهم وطعنا في الدين ولو أنهم قالوا سمعنا وأطعنا واسمع وانظرنا لكان خيرا لهم وأقوم ولكن لعنهم الله بكفرهم فلا يؤمنون إلا قليلا |
| | | वे लोग जो यहूदी बन गए, वे शब्दों को उनके स्थानों से दूसरी ओर फेर देते है और कहते हैं, "समि'अना व 'असैना" (हमने सुना, लेकिन हम मानते नही); और "इसम'अ ग़ै-र मुसम'इन" (सुनो हालाँकि तुम सुनने के योग्य नहीं हो और "राइना" (हमारी ओर ध्यान दो) - यह वे अपनी ज़बानों को तोड़-मरोड़कर और दीन पर चोटें करते हुए कहते है। और यदि वे कहते, "समिअ'ना व अ-त'अना" (हमने सुना और माना) और "इसम'अ" (सुनो) और "उनज़ुरना" (हमारी ओर निगाह करो) तो यह उनके लिए अच्छा और अधिक ठीक होता। किन्तु उनपर तो उनके इनकार के कारण अल्लाह की फिटकार पड़ी हुई है। फिर वे ईमान थोड़े ही लाते है |
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540 | 4 | 47 | يا أيها الذين أوتوا الكتاب آمنوا بما نزلنا مصدقا لما معكم من قبل أن نطمس وجوها فنردها على أدبارها أو نلعنهم كما لعنا أصحاب السبت وكان أمر الله مفعولا |
| | | ऐ लोगों! जिन्हें किताब दी गई, उस चीज को मानो जो हमने उतारी है, जो उसकी पुष्टि में है, जो स्वयं तुम्हारे पास है, इससे पहले कि हम चेहरों की रूपरेखा को मिटाकर रख दें और उन्हें उनके पीछ की ओर फेर दें या उनपर लानत करें, जिस प्रकार हमने सब्तवालों पर लानत की थी। और अल्लाह का आदेश तो लागू होकर ही रहता है |
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