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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5252 | 67 | 11 | فاعترفوا بذنبهم فسحقا لأصحاب السعير |
| | | इस प्रकार वे अपने गुनाहों को स्वीकार करेंगे, तो धिक्कार हो दहकती आगवालों पर! |
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5253 | 67 | 12 | إن الذين يخشون ربهم بالغيب لهم مغفرة وأجر كبير |
| | | जो लोग परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते है, उनके लिए क्षमा और बड़ा बदला है |
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5254 | 67 | 13 | وأسروا قولكم أو اجهروا به إنه عليم بذات الصدور |
| | | तुम अपनी बात छिपाओ या उसे व्यक्त करो, वह तो सीनों में छिपी बातों तक को जानता है |
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5255 | 67 | 14 | ألا يعلم من خلق وهو اللطيف الخبير |
| | | क्या वह नहीं जानेगा जिसने पैदा किया? वह सूक्ष्मदर्शी, ख़बर रखनेवाला है |
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5256 | 67 | 15 | هو الذي جعل لكم الأرض ذلولا فامشوا في مناكبها وكلوا من رزقه وإليه النشور |
| | | वही तो है जिसने तुम्हारे लिए धरती को वशीभूत किया। अतः तुम उसके (धरती के) कन्धों पर चलो और उसकी रोज़ी में से खाओ, उसी की ओर दोबारा उठकर (जीवित होकर) जाना है |
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5257 | 67 | 16 | أأمنتم من في السماء أن يخسف بكم الأرض فإذا هي تمور |
| | | क्या तुम उससे निश्चिन्त हो जो आकाश में है कि तुम्हें धरती में धँसा दे, फिर क्या देखोगे कि वह डाँवाडोल हो रही है? |
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5258 | 67 | 17 | أم أمنتم من في السماء أن يرسل عليكم حاصبا فستعلمون كيف نذير |
| | | या तुम उससे निश्चिन्त हो जो आकाश में है कि वह तुमपर पथराव करनेवाली वायु भेज दे? फिर तुम जान लोगे कि मेरी चेतावनी कैसी होती है |
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5259 | 67 | 18 | ولقد كذب الذين من قبلهم فكيف كان نكير |
| | | उन लोगों ने भी झुठलाया जो उनसे पहले थे, फिर कैसा रहा मेरा इनकार! |
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5260 | 67 | 19 | أولم يروا إلى الطير فوقهم صافات ويقبضن ما يمسكهن إلا الرحمن إنه بكل شيء بصير |
| | | क्या उन्होंने अपने ऊपर पक्षियों को पंक्तबन्द्ध पंख फैलाए और उन्हें समेटते नहीं देखा? उन्हें रहमान के सिवा कोई और नहीं थामें रहता। निश्चय ही वह हर चीज़ को देखता है |
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5261 | 67 | 20 | أمن هذا الذي هو جند لكم ينصركم من دون الرحمن إن الكافرون إلا في غرور |
| | | या वह कौन है जो तुम्हारी सेना बनकर रहमान के मुक़ाबले में तुम्हारी सहायता करे। इनकार करनेवाले तो बस धोखे में पड़े हुए है |
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