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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5229 | 65 | 12 | الله الذي خلق سبع سماوات ومن الأرض مثلهن يتنزل الأمر بينهن لتعلموا أن الله على كل شيء قدير وأن الله قد أحاط بكل شيء علما |
| | | अल्लाह ही है जिसने सात आकाश बनाए और उन्ही के सदृश धरती से भी। उनके बीच (उसका) आदेश उतरता रहता है ताकि तुम जान लो कि अल्लाह को हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्त है और यह कि अल्लाह हर चीज़ को अपनी ज्ञान-परिधि में लिए हुए है |
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5230 | 66 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم يا أيها النبي لم تحرم ما أحل الله لك تبتغي مرضات أزواجك والله غفور رحيم |
| | | ऐ नबी! जिस चीज़ को अल्लाह ने तुम्हारे लिए वैध ठहराया है उसे तुम अपनी पत्नियों की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए क्यो अवैध करते हो? अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है |
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5231 | 66 | 2 | قد فرض الله لكم تحلة أيمانكم والله مولاكم وهو العليم الحكيم |
| | | अल्लाह ने तुम लोगों के लिए तुम्हारी अपनी क़समों की पाबंदी से निकलने का उपाय निश्चित कर दिया है। अल्लाह तुम्हारा संरक्षक है और वही सर्वज्ञ, अत्यन्त तत्वदर्शी है |
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5232 | 66 | 3 | وإذ أسر النبي إلى بعض أزواجه حديثا فلما نبأت به وأظهره الله عليه عرف بعضه وأعرض عن بعض فلما نبأها به قالت من أنبأك هذا قال نبأني العليم الخبير |
| | | जब नबी ने अपनी पत्ऩियों में से किसी से एक गोपनीय बात कही, फिर जब उसने उसकी ख़बर कर दी और अल्लाह ने उसे उसपर ज़ाहिर कर दिया, तो उसने उसे किसी हद तक बता दिया और किसी हद तक टाल गया। फिर जब उसने उसकी उसे ख़बर की तो वह बोली, "आपको इसकी ख़बर किसने दी?" उसने कहा, "मुझे उसने ख़बर दी जो सब कुछ जाननेवाला, ख़बर रखनेवाला है।" |
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5233 | 66 | 4 | إن تتوبا إلى الله فقد صغت قلوبكما وإن تظاهرا عليه فإن الله هو مولاه وجبريل وصالح المؤمنين والملائكة بعد ذلك ظهير |
| | | यदि तुम दोनों अल्लाह की ओर रुजू हो तो तुम्हारे दिल तो झुक ही चुके हैं, किन्तु यदि तुम उसके विरुद्ध एक-दूसरे की सहायता करोगी तो अल्लाह उसकी संरक्षक है, और जिबरील और नेक ईमानवाले भी, और इसके बाद फ़रिश्ते भी उसके सहायक है |
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5234 | 66 | 5 | عسى ربه إن طلقكن أن يبدله أزواجا خيرا منكن مسلمات مؤمنات قانتات تائبات عابدات سائحات ثيبات وأبكارا |
| | | इसकी बहुत सम्भावना है कि यदि वह तुम्हें तलाक़ दे दे तो उसका रब तुम्हारे बदले में तुमसे अच्छी पत्ऩियाँ उसे प्रदान करे - मुस्लिम, ईमानवाली, आज्ञाकारिणी, तौबा करनेवाली, इबादत करनेवाली, (अल्लाह के मार्ग में) सफ़र करनेवाली, विवाहिता और कुँवारियाँ भी |
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5235 | 66 | 6 | يا أيها الذين آمنوا قوا أنفسكم وأهليكم نارا وقودها الناس والحجارة عليها ملائكة غلاظ شداد لا يعصون الله ما أمرهم ويفعلون ما يؤمرون |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! अपने आपको और अपने घरवालों को उस आग से बचाओ जिसका ईधन मनुष्य और पत्थर होंगे, जिसपर कठोर स्वभाव के ऐसे बलशाली फ़रिश्ते नियुक्त होंगे जो अल्लाह की अवज्ञा उसमें नहीं करेंगे जो आदेश भी वह उन्हें देगा, और वे वही करेंगे जिसका उन्हें आदेश दिया जाएगा |
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5236 | 66 | 7 | يا أيها الذين كفروا لا تعتذروا اليوم إنما تجزون ما كنتم تعملون |
| | | ऐ इनकार करनेवालो! आज उज़्र पेश न करो। तुम्हें बदले में वही तो दिया जा रहा है जो कुछ तुम करते रहे हो |
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5237 | 66 | 8 | يا أيها الذين آمنوا توبوا إلى الله توبة نصوحا عسى ربكم أن يكفر عنكم سيئاتكم ويدخلكم جنات تجري من تحتها الأنهار يوم لا يخزي الله النبي والذين آمنوا معه نورهم يسعى بين أيديهم وبأيمانهم يقولون ربنا أتمم لنا نورنا واغفر لنا إنك على كل شيء قدير |
| | | ऐ ईमान लानेवाले! अल्लाह के आगे तौबा करो, विशुद्ध तौबा। बहुत सम्भव है कि तुम्हारा रब तुम्हारी बुराइयाँ तुमसे दूर कर दे और तुम्हें ऐसे बाग़ों में दाख़िल करे जिनके नीचे नहरे बह रही होंगी, जिस दिन अल्लाह नबी को और उनको जो ईमान लाकर उसके साथ हुए, रुसवा न करेगा। उनका प्रकाश उनके आगे-आगे दौड़ रहा होगा और उनके दाहिने हाथ मे होगा। वे कह रहे होंगे, "ऐ हमारे रब! हमारे लिए हमारे प्रकाश को पूर्ण कर दे और हमें क्षमा कर। निश्चय ही तू हर चीज़ की सामर्थ्य रखता है।" |
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5238 | 66 | 9 | يا أيها النبي جاهد الكفار والمنافقين واغلظ عليهم ومأواهم جهنم وبئس المصير |
| | | ऐ नबी! इनकार करनेवालों और कपटाचारियों से जिहाद करो और उनके साथ सख़्ती से पेश आओ। उनका ठिकाना जहन्नम है और वह अन्ततः पहुँचने की बहुत बुरी जगह है |
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