نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5198 | 63 | 10 | وأنفقوا من ما رزقناكم من قبل أن يأتي أحدكم الموت فيقول رب لولا أخرتني إلى أجل قريب فأصدق وأكن من الصالحين |
| | | हमने तुम्हें जो कुछ दिया है उसमें से ख़र्च करो इससे पहले कि तुममें से किसी की मृत्यु आ जाए और उस समय वह करने लगे, "ऐ मेरे रब! तूने मुझे कुछ थोड़े समय तक और मुहलत क्यों न दी कि मैं सदक़ा (दान) करता (मुझे मुहलत दे कि मैं सदक़ा करूँ) और अच्छे लोगों में सम्मिलित हो जाऊँ।" |
|
5199 | 63 | 11 | ولن يؤخر الله نفسا إذا جاء أجلها والله خبير بما تعملون |
| | | किन्तु अल्लाह, किसी व्यक्ति को जब तक उसका नियत समय आ जाता है, कदापि मुहलत नहीं देता। और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है |
|
5200 | 64 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم يسبح لله ما في السماوات وما في الأرض له الملك وله الحمد وهو على كل شيء قدير |
| | | अल्लाह की तसबीह कर रही है हर वह चीज़ जो आकाशों में है और जो धरती में है। उसी की बादशाही है और उसी के लिए प्रशंसा है और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है |
|
5201 | 64 | 2 | هو الذي خلقكم فمنكم كافر ومنكم مؤمن والله بما تعملون بصير |
| | | वही है जिसने तुम्हें पैदा किया, फिर तुममें से कोई तो इनकार करनेवाला है और तुममें से कोई ईमानवाला है, और तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसे देख रहा होता है |
|
5202 | 64 | 3 | خلق السماوات والأرض بالحق وصوركم فأحسن صوركم وإليه المصير |
| | | उसने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया और तुम्हारा रूप बनाया, तो बहुत ही अच्छे बनाए तुम्हारे रूप और उसी की ओर अन्ततः जाना है |
|
5203 | 64 | 4 | يعلم ما في السماوات والأرض ويعلم ما تسرون وما تعلنون والله عليم بذات الصدور |
| | | वह जानता है जो कुछ आकाशों और धरती में है और उसे भी जानता है जो कुछ तुम छिपाते हो और जो कुछ तुम प्रकट करते हो। अल्लाह तो सीनों में छिपी बात तक को जानता है |
|
5204 | 64 | 5 | ألم يأتكم نبأ الذين كفروا من قبل فذاقوا وبال أمرهم ولهم عذاب أليم |
| | | क्या तुम्हें उन लोगों की ख़बर नहीं पहुँची जिन्होंने इससे पहले इनकार किया था, फिर उन्होंने अपने कर्म के वबाल का मज़ा चखा और उनके लिए एक दुखद यातना भी है |
|
5205 | 64 | 6 | ذلك بأنه كانت تأتيهم رسلهم بالبينات فقالوا أبشر يهدوننا فكفروا وتولوا واستغنى الله والله غني حميد |
| | | यह इस कारण कि उनके पास उनके रसूल स्पष्ट प्रमाण लेकर आते रहे, किन्तु उन्होंने कहा, "क्या मनुष्य हमें मार्ग दिखाएँगे?" इस प्रकार उन्होंने इनकार किया और मुँह फेर लिया, तब अल्लाह भी उनसे बेपरवाह हो गया। अल्लाह तो है ही निस्पृह, अपने आप में स्वयं प्रशंसित |
|
5206 | 64 | 7 | زعم الذين كفروا أن لن يبعثوا قل بلى وربي لتبعثن ثم لتنبؤن بما عملتم وذلك على الله يسير |
| | | जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने दावा किया वे मरने के पश्चात कदापि न उठाए जाएँगे। कह दो, "क्यों नहीं, मेरे रब की क़सम! तुम अवश्य उठाए जाओगे, फिर जो कुछ तुमने किया है उससे तुम्हें अवगत करा दिया जाएगा। और अल्लाह के लिए यह अत्यन्त सरल है।" |
|
5207 | 64 | 8 | فآمنوا بالله ورسوله والنور الذي أنزلنا والله بما تعملون خبير |
| | | अतः ईमान लाओ, अल्लाह पर और उसके रसूल पर और उस प्रकाश पर जिसे हमने अवतरित किया है। तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है |
|