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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5097 | 57 | 22 | ما أصاب من مصيبة في الأرض ولا في أنفسكم إلا في كتاب من قبل أن نبرأها إن ذلك على الله يسير |
| | | जितनी मुसीबतें रूए ज़मीन पर और ख़ुद तुम लोगों पर नाज़िल होती हैं (वह सब) क़ब्ल इसके कि हम उन्हें पैदा करें किताब (लौह महफूज़) में (लिखी हुई) हैं बेशक ये ख़ुदा पर आसान है |
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5098 | 57 | 23 | لكيلا تأسوا على ما فاتكم ولا تفرحوا بما آتاكم والله لا يحب كل مختال فخور |
| | | ताकि जब कोई चीज़ तुमसे जाती रहे तो तुम उसका रंज न किया करो और जब कोई चीज़ (नेअमत) ख़ुदा तुमको दे तो उस पर न इतराया करो और ख़ुदा किसी इतराने वाले येख़ी बाज़ को दोस्त नहीं रखता |
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5099 | 57 | 24 | الذين يبخلون ويأمرون الناس بالبخل ومن يتول فإن الله هو الغني الحميد |
| | | जो ख़ुद भी बुख्ल करते हैं और दूसरे लोगों को भी बुख्ल करना सिखाते हैं और जो शख़्श (इन बातों से) रूगरदानी करे तो ख़ुदा भी बेपरवा सज़ावारे हम्दोसना है |
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5100 | 57 | 25 | لقد أرسلنا رسلنا بالبينات وأنزلنا معهم الكتاب والميزان ليقوم الناس بالقسط وأنزلنا الحديد فيه بأس شديد ومنافع للناس وليعلم الله من ينصره ورسله بالغيب إن الله قوي عزيز |
| | | हमने यक़ीनन अपने पैग़म्बरों को वाज़े व रौशन मोजिज़े देकर भेजा और उनके साथ किताब और (इन्साफ़ की) तराज़ू नाज़िल किया ताकि लोग इन्साफ़ पर क़ायम रहे और हम ही ने लोहे को नाज़िल किया जिसके ज़रिए से सख्त लड़ाई और लोगों के बहुत से नफे (की बातें) हैं और ताकि ख़ुदा देख ले कि बेदेखे भाले ख़ुदा और उसके रसूलों की कौन मदद करता है बेशक ख़ुदा बहुत ज़बरदस्त ग़ालिब है |
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5101 | 57 | 26 | ولقد أرسلنا نوحا وإبراهيم وجعلنا في ذريتهما النبوة والكتاب فمنهم مهتد وكثير منهم فاسقون |
| | | और बेशक हम ही ने नूह और इबराहीम को (पैग़म्बर बनाकर) भेजा और उनही दोनों की औलाद में नबूवत और किताब मुक़र्रर की तो उनमें के बाज़ हिदायत याफ्ता हैं और उन के बहुतेरे बदकार हैं |
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5102 | 57 | 27 | ثم قفينا على آثارهم برسلنا وقفينا بعيسى ابن مريم وآتيناه الإنجيل وجعلنا في قلوب الذين اتبعوه رأفة ورحمة ورهبانية ابتدعوها ما كتبناها عليهم إلا ابتغاء رضوان الله فما رعوها حق رعايتها فآتينا الذين آمنوا منهم أجرهم وكثير منهم فاسقون |
| | | फिर उनके पीछे ही उनके क़दम ब क़दम अपने और पैग़म्बर भेजे और उनके पीछे मरियम के बेटे ईसा को भेजा और उनको इन्जील अता की और जिन लोगों ने उनकी पैरवी की उनके दिलों में यफ़क्क़त और मेहरबानी डाल दी और रहबानियत (लज्ज़ात से किनाराकशी) उन लोगों ने ख़ुद एक नयी बात निकाली थी हमने उनको उसका हुक्म नहीं दिया था मगर (उन लोगों ने) ख़ुदा की ख़ुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (ख़ुद ईजाद किया) तो उसको भी जैसा बनाना चाहिए था न बना सके तो जो लोग उनमें से ईमान लाए उनको हमने उनका अज्र दिया उनमें के बहुतेरे तो बदकार ही हैं |
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5103 | 57 | 28 | يا أيها الذين آمنوا اتقوا الله وآمنوا برسوله يؤتكم كفلين من رحمته ويجعل لكم نورا تمشون به ويغفر لكم والله غفور رحيم |
| | | ऐ ईमानदारों ख़ुदा से डरो और उसके रसूल (मोहम्मद) पर ईमान लाओ तो ख़ुदा तुमको अपनी रहमत के दो हिस्से अज्र अता फरमाएगा और तुमको ऐसा नूर इनायत फ़रमाएगा जिस (की रौशनी) में तुम चलोगे और तुमको बख्श भी देगा और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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5104 | 57 | 29 | لئلا يعلم أهل الكتاب ألا يقدرون على شيء من فضل الله وأن الفضل بيد الله يؤتيه من يشاء والله ذو الفضل العظيم |
| | | (ये इसलिए कहा जाता है) ताकि अहले किताब ये न समझें कि ये मोमिनीन ख़ुदा के फज़ल (व क़रम) पर कुछ भी कुदरत नहीं रखते और ये तो यक़ीनी बात है कि फज़ल ख़ुदा ही के कब्ज़े में है वह जिसको चाहे अता फरमाए और ख़ुदा तो बड़े फज़ल (व क़रम) का मालिक है |
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5105 | 58 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم قد سمع الله قول التي تجادلك في زوجها وتشتكي إلى الله والله يسمع تحاوركما إن الله سميع بصير |
| | | ऐ रसूल जो औरत (ख़ुला) तुमसे अपने शौहर (उस) के बारे में तुमसे झगड़ती और ख़ुदा से गिले शिकवे करती है ख़ुदा ने उसकी बात सुन ली और ख़ुदा तुम दोनों की ग़ुफ्तगू सुन रहा है बेशक ख़ुदा बड़ा सुनने वाला देखने वाला है |
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5106 | 58 | 2 | الذين يظاهرون منكم من نسائهم ما هن أمهاتهم إن أمهاتهم إلا اللائي ولدنهم وإنهم ليقولون منكرا من القول وزورا وإن الله لعفو غفور |
| | | तुम में से जो लोग अपनी बीवियों के साथ ज़हार करते हैं अपनी बीवी को माँ कहते हैं वह कुछ उनकी माएँ नहीं (हो जातीं) उनकी माएँ तो बस वही हैं जो उनको जनती हैं और वह बेशक एक नामाक़ूल और झूठी बात कहते हैं और ख़ुदा बेशक माफ करने वाला और बड़ा बख्शने वाला है |
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