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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5093 | 57 | 18 | إن المصدقين والمصدقات وأقرضوا الله قرضا حسنا يضاعف لهم ولهم أجر كريم |
| | | बेशक ख़ैरात देने वाले मर्द और ख़ैरात देने वाली औरतें और (जो लोग) ख़ुदा की नीयत से ख़ालिस कर्ज़ देते हैं उनको दोगुना (अज्र) दिया जाएगा और उनका बहुत मुअज़िज़ सिला (जन्नत) तो है ही |
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5094 | 57 | 19 | والذين آمنوا بالله ورسله أولئك هم الصديقون والشهداء عند ربهم لهم أجرهم ونورهم والذين كفروا وكذبوا بآياتنا أولئك أصحاب الجحيم |
| | | और जो लोग ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाए यही लोग अपने परवरदिगार के नज़दीक सिद्दीक़ों और शहीदों के दरजे में होंगे उनके लिए उन्ही (सिद्दीकों और शहीदों) का अज्र और उन्हीं का नूर होगा और जिन लोगों ने कुफ्र किया और हमारी आयतों को झुठलाया वही लोग जहन्नुमी हैं |
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5095 | 57 | 20 | اعلموا أنما الحياة الدنيا لعب ولهو وزينة وتفاخر بينكم وتكاثر في الأموال والأولاد كمثل غيث أعجب الكفار نباته ثم يهيج فتراه مصفرا ثم يكون حطاما وفي الآخرة عذاب شديد ومغفرة من الله ورضوان وما الحياة الدنيا إلا متاع الغرور |
| | | जान रखो कि दुनियावी ज़िन्दगी महज़ खेल और तमाशा और ज़ाहिरी ज़ीनत (व आसाइश) और आपस में एक दूसरे पर फ़ख्र क़रना और माल और औलाद की एक दूसरे से ज्यादा ख्वाहिश है (दुनयावी ज़िन्दगी की मिसाल तो) बारिश की सी मिसाल है जिस (की वजह) से किसानों की खेती (लहलहाती और) उनको ख़ुश कर देती थी फिर सूख जाती है तो तू उसको देखता है कि ज़र्द हो जाती है फिर चूर चूर हो जाती है और आख़िरत में (कुफ्फार के लिए) सख्त अज़ाब है और (मोमिनों के लिए) ख़ुदा की तरफ से बख़्शिस और ख़ुशनूदी और दुनयावी ज़िन्दगी तो बस फ़रेब का साज़ो सामान है |
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5096 | 57 | 21 | سابقوا إلى مغفرة من ربكم وجنة عرضها كعرض السماء والأرض أعدت للذين آمنوا بالله ورسله ذلك فضل الله يؤتيه من يشاء والله ذو الفضل العظيم |
| | | तुम अपने परवरदिगार के (सबब) बख़्शिस की और बेहिश्त की तरफ लपक के आगे बढ़ जाओ जिसका अर्ज़ आसमान और ज़मीन के अर्ज़ के बराबर है जो उन लोगों के लिए तैयार की गयी है जो ख़ुदा पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए हैं ये ख़ुदा का फज़ल है जिसे चाहे अता करे और ख़ुदा का फज़ल (व क़रम) तो बहुत बड़ा है |
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5097 | 57 | 22 | ما أصاب من مصيبة في الأرض ولا في أنفسكم إلا في كتاب من قبل أن نبرأها إن ذلك على الله يسير |
| | | जितनी मुसीबतें रूए ज़मीन पर और ख़ुद तुम लोगों पर नाज़िल होती हैं (वह सब) क़ब्ल इसके कि हम उन्हें पैदा करें किताब (लौह महफूज़) में (लिखी हुई) हैं बेशक ये ख़ुदा पर आसान है |
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5098 | 57 | 23 | لكيلا تأسوا على ما فاتكم ولا تفرحوا بما آتاكم والله لا يحب كل مختال فخور |
| | | ताकि जब कोई चीज़ तुमसे जाती रहे तो तुम उसका रंज न किया करो और जब कोई चीज़ (नेअमत) ख़ुदा तुमको दे तो उस पर न इतराया करो और ख़ुदा किसी इतराने वाले येख़ी बाज़ को दोस्त नहीं रखता |
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5099 | 57 | 24 | الذين يبخلون ويأمرون الناس بالبخل ومن يتول فإن الله هو الغني الحميد |
| | | जो ख़ुद भी बुख्ल करते हैं और दूसरे लोगों को भी बुख्ल करना सिखाते हैं और जो शख़्श (इन बातों से) रूगरदानी करे तो ख़ुदा भी बेपरवा सज़ावारे हम्दोसना है |
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5100 | 57 | 25 | لقد أرسلنا رسلنا بالبينات وأنزلنا معهم الكتاب والميزان ليقوم الناس بالقسط وأنزلنا الحديد فيه بأس شديد ومنافع للناس وليعلم الله من ينصره ورسله بالغيب إن الله قوي عزيز |
| | | हमने यक़ीनन अपने पैग़म्बरों को वाज़े व रौशन मोजिज़े देकर भेजा और उनके साथ किताब और (इन्साफ़ की) तराज़ू नाज़िल किया ताकि लोग इन्साफ़ पर क़ायम रहे और हम ही ने लोहे को नाज़िल किया जिसके ज़रिए से सख्त लड़ाई और लोगों के बहुत से नफे (की बातें) हैं और ताकि ख़ुदा देख ले कि बेदेखे भाले ख़ुदा और उसके रसूलों की कौन मदद करता है बेशक ख़ुदा बहुत ज़बरदस्त ग़ालिब है |
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5101 | 57 | 26 | ولقد أرسلنا نوحا وإبراهيم وجعلنا في ذريتهما النبوة والكتاب فمنهم مهتد وكثير منهم فاسقون |
| | | और बेशक हम ही ने नूह और इबराहीम को (पैग़म्बर बनाकर) भेजा और उनही दोनों की औलाद में नबूवत और किताब मुक़र्रर की तो उनमें के बाज़ हिदायत याफ्ता हैं और उन के बहुतेरे बदकार हैं |
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5102 | 57 | 27 | ثم قفينا على آثارهم برسلنا وقفينا بعيسى ابن مريم وآتيناه الإنجيل وجعلنا في قلوب الذين اتبعوه رأفة ورحمة ورهبانية ابتدعوها ما كتبناها عليهم إلا ابتغاء رضوان الله فما رعوها حق رعايتها فآتينا الذين آمنوا منهم أجرهم وكثير منهم فاسقون |
| | | फिर उनके पीछे ही उनके क़दम ब क़दम अपने और पैग़म्बर भेजे और उनके पीछे मरियम के बेटे ईसा को भेजा और उनको इन्जील अता की और जिन लोगों ने उनकी पैरवी की उनके दिलों में यफ़क्क़त और मेहरबानी डाल दी और रहबानियत (लज्ज़ात से किनाराकशी) उन लोगों ने ख़ुद एक नयी बात निकाली थी हमने उनको उसका हुक्म नहीं दिया था मगर (उन लोगों ने) ख़ुदा की ख़ुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (ख़ुद ईजाद किया) तो उसको भी जैसा बनाना चाहिए था न बना सके तो जो लोग उनमें से ईमान लाए उनको हमने उनका अज्र दिया उनमें के बहुतेरे तो बदकार ही हैं |
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