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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5084 | 57 | 9 | هو الذي ينزل على عبده آيات بينات ليخرجكم من الظلمات إلى النور وإن الله بكم لرءوف رحيم |
| | | वही तो है जो अपने बन्दे (मोहम्मद) पर वाज़ेए व रौशन आयतें नाज़िल करता है ताकि तुम लोगों को (कुफ़्र की) तारिक़ीयों से निकाल कर (ईमान की) रौशनी में ले जाए और बेशक ख़ुदा तुम पर बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है |
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5085 | 57 | 10 | وما لكم ألا تنفقوا في سبيل الله ولله ميراث السماوات والأرض لا يستوي منكم من أنفق من قبل الفتح وقاتل أولئك أعظم درجة من الذين أنفقوا من بعد وقاتلوا وكلا وعد الله الحسنى والله بما تعملون خبير |
| | | और तुमको क्या हो गया कि (अपना माल) ख़ुदा की राह में ख़र्च नहीं करते हालॉकि सारे आसमान व ज़मीन का मालिक व वारिस ख़ुदा ही है तुममें से जिस शख़्श ने फतेह (मक्का) से पहले (अपना माल) ख़र्च किया और जेहाद किया (और जिसने बाद में किया) वह बराबर नहीं उनका दर्जा उन लोगों से कहीं बढ़ कर है जिन्होंने बाद में ख़र्च किया और जेहाद किया और (यूँ तो) ख़ुदा ने नेकी और सवाब का वायदा तो सबसे किया है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाक़िफ़ है |
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5086 | 57 | 11 | من ذا الذي يقرض الله قرضا حسنا فيضاعفه له وله أجر كريم |
| | | कौन ऐसा है जो ख़ुदा को ख़ालिस नियत से कर्जे हसना दे तो ख़ुदा उसके लिए (अज्र को) दूना कर दे और उसके लिए बहुत मुअज्ज़िज़ सिला (जन्नत) तो है ही |
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5087 | 57 | 12 | يوم ترى المؤمنين والمؤمنات يسعى نورهم بين أيديهم وبأيمانهم بشراكم اليوم جنات تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها ذلك هو الفوز العظيم |
| | | जिस दिन तुम मोमिन मर्द और मोमिन औरतों को देखोगे कि उन (के ईमान) का नूर उनके आगे आगे और दाहिने तरफ चल रहा होगा तो उनसे कहा (जाएगा) तुमको बशारत हो कि आज तुम्हारे लिए वह बाग़ है जिनके नीचे नहरें जारी हैं जिनमें हमेशा रहोगे यही तो बड़ी कामयाबी है |
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5088 | 57 | 13 | يوم يقول المنافقون والمنافقات للذين آمنوا انظرونا نقتبس من نوركم قيل ارجعوا وراءكم فالتمسوا نورا فضرب بينهم بسور له باب باطنه فيه الرحمة وظاهره من قبله العذاب |
| | | उस दिन मुनाफ़िक मर्द और मुनाफ़िक औरतें ईमानदारों से कहेंगे एक नज़र (शफ़क्क़त) हमारी तरफ़ भी करो कि हम भी तुम्हारे नूर से कुछ रौशनी हासिल करें तो (उनसे) कहा जाएगा कि तुम अपने पीछे (दुनिया में) लौट जाओ और (वही) किसी और नूर की तलाश करो फिर उनके बीच में एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी जिसमें एक दरवाज़ा होगा (और) उसके अन्दर की जानिब तो रहमत है और बाहर की तरफ अज़ाब तो मुनाफ़िक़ीन मोमिनीन से पुकार कर कहेंगे |
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5089 | 57 | 14 | ينادونهم ألم نكن معكم قالوا بلى ولكنكم فتنتم أنفسكم وتربصتم وارتبتم وغرتكم الأماني حتى جاء أمر الله وغركم بالله الغرور |
| | | (क्यों भाई) क्या हम कभी तुम्हारे साथ न थे तो मोमिनीन कहेंगे थे तो ज़रूर मगर तुम ने तो ख़ुद अपने आपको बला में डाला और (हमारे हक़ में गर्दिशों के) मुन्तज़िर हैं और (दीन में) शक़ किया किए और तुम्हें (तुम्हारी) तमन्नाओं ने धोखे में रखा यहाँ तक कि ख़ुदा का हुक्म आ पहुँचा और एक बड़े दग़ाबाज़ (शैतान) ने ख़ुदा के बारे में तुमको फ़रेब दिया |
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5090 | 57 | 15 | فاليوم لا يؤخذ منكم فدية ولا من الذين كفروا مأواكم النار هي مولاكم وبئس المصير |
| | | तो आज न तो तुमसे कोई मुआवज़ा लिया जाएगा और न काफ़िरों से तुम सबका ठिकाना (बस) जहन्नुम है वही तुम्हारे वास्ते सज़ावार है और (क्या) बुरी जगह है |
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5091 | 57 | 16 | ألم يأن للذين آمنوا أن تخشع قلوبهم لذكر الله وما نزل من الحق ولا يكونوا كالذين أوتوا الكتاب من قبل فطال عليهم الأمد فقست قلوبهم وكثير منهم فاسقون |
| | | क्या ईमानदारों के लिए अभी तक इसका वक्त नहीं आया कि ख़ुदा की याद और क़ुरान के लिए जो (ख़ुदा की तरफ से) नाज़िल हुआ है उनके दिल नरम हों और वह उन लोगों के से न हो जाएँ जिनको उन से पहले किताब (तौरेत, इन्जील) दी गयी थी तो (जब) एक ज़माना दराज़ गुज़र गया तो उनके दिल सख्त हो गए और इनमें से बहुतेरे बदकार हैं |
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5092 | 57 | 17 | اعلموا أن الله يحيي الأرض بعد موتها قد بينا لكم الآيات لعلكم تعقلون |
| | | जान रखो कि ख़ुदा ही ज़मीन को उसके मरने (उफ़तादा होने) के बाद ज़िन्दा (आबाद) करता है हमने तुमसे अपनी (क़ुदरत की) निशानियाँ खोल खोल कर बयान कर दी हैं ताकि तुम समझो |
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5093 | 57 | 18 | إن المصدقين والمصدقات وأقرضوا الله قرضا حسنا يضاعف لهم ولهم أجر كريم |
| | | बेशक ख़ैरात देने वाले मर्द और ख़ैरात देने वाली औरतें और (जो लोग) ख़ुदा की नीयत से ख़ालिस कर्ज़ देते हैं उनको दोगुना (अज्र) दिया जाएगा और उनका बहुत मुअज़िज़ सिला (जन्नत) तो है ही |
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