نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5047 | 56 | 68 | أفرأيتم الماء الذي تشربون |
| | | तो क्या तुमने पानी पर भी नज़र डाली जो (दिन रात) पीते हो |
|
5048 | 56 | 69 | أأنتم أنزلتموه من المزن أم نحن المنزلون |
| | | क्या उसको बादल से तुमने बरसाया है या हम बरसाते हैं |
|
5049 | 56 | 70 | لو نشاء جعلناه أجاجا فلولا تشكرون |
| | | अगर हम चाहें तो उसे खारी बना दें तो तुम लोग यक्र क्यों नहीं करते |
|
5050 | 56 | 71 | أفرأيتم النار التي تورون |
| | | तो क्या तुमने आग पर भी ग़ौर किया जिसे तुम लोग लकड़ी से निकालते हो |
|
5051 | 56 | 72 | أأنتم أنشأتم شجرتها أم نحن المنشئون |
| | | क्या उसके दरख्त को तुमने पैदा किया या हम पैदा करते हैं |
|
5052 | 56 | 73 | نحن جعلناها تذكرة ومتاعا للمقوين |
| | | हमने आग को (जहन्नुम की) याद देहानी और मुसाफिरों के नफे के (वास्ते पैदा किया) |
|
5053 | 56 | 74 | فسبح باسم ربك العظيم |
| | | तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो |
|
5054 | 56 | 75 | فلا أقسم بمواقع النجوم |
| | | तो मैं तारों के मनाज़िल की क़सम खाता हूँ |
|
5055 | 56 | 76 | وإنه لقسم لو تعلمون عظيم |
| | | और अगर तुम समझो तो ये बड़ी क़सम है |
|
5056 | 56 | 77 | إنه لقرآن كريم |
| | | कि बेशक ये बड़े रूतबे का क़ुरान है |
|