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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
5039 | 56 | 60 | نحن قدرنا بينكم الموت وما نحن بمسبوقين |
| | | हमने तुम लोगों में मौत को मुक़र्रर कर दिया है और हम उससे आजिज़ नहीं हैं |
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5040 | 56 | 61 | على أن نبدل أمثالكم وننشئكم في ما لا تعلمون |
| | | कि तुम्हारे ऐसे और लोग बदल डालें और तुम लोगों को इस (सूरत) में पैदा करें जिसे तुम मुत्तलक़ नहीं जानते |
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5041 | 56 | 62 | ولقد علمتم النشأة الأولى فلولا تذكرون |
| | | और तुमने पैहली पैदाइश तो समझ ही ली है (कि हमने की) फिर तुम ग़ौर क्यों नहीं करते |
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5042 | 56 | 63 | أفرأيتم ما تحرثون |
| | | भला देखो तो कि जो कुछ तुम लोग बोते हो क्या |
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5043 | 56 | 64 | أأنتم تزرعونه أم نحن الزارعون |
| | | तुम लोग उसे उगाते हो या हम उगाते हैं अगर हम चाहते |
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5044 | 56 | 65 | لو نشاء لجعلناه حطاما فظلتم تفكهون |
| | | तो उसे चूर चूर कर देते तो तुम बातें ही बनाते रह जाते |
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5045 | 56 | 66 | إنا لمغرمون |
| | | कि (हाए) हम तो (मुफ्त) तावान में फॅसे (नहीं) |
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5046 | 56 | 67 | بل نحن محرومون |
| | | हम तो बदनसीब हैं |
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5047 | 56 | 68 | أفرأيتم الماء الذي تشربون |
| | | तो क्या तुमने पानी पर भी नज़र डाली जो (दिन रात) पीते हो |
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5048 | 56 | 69 | أأنتم أنزلتموه من المزن أم نحن المنزلون |
| | | क्या उसको बादल से तुमने बरसाया है या हम बरसाते हैं |
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