بسم الله الرحمن الرحيم

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49355534فبأي آلاء ربكما تكذبان
तो तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे
49365535يرسل عليكما شواظ من نار ونحاس فلا تنتصران
(गुनाहगार जिनों और आदमियों जहन्नुम में) तुम दोनो पर आग का सब्ज़ शोला और सियाह धुऑं छोड़ दिया जाएगा तो तुम दोनों (किस तरह) रोक नहीं सकोगे
49375536فبأي آلاء ربكما تكذبان
फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
49385537فإذا انشقت السماء فكانت وردة كالدهان
फिर जब आसमान फट कर (क़यामत में) तेल की तरह लाल हो जाऐगा
49395538فبأي آلاء ربكما تكذبان
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे
49405539فيومئذ لا يسأل عن ذنبه إنس ولا جان
तो उस दिन न तो किसी इन्सान से उसके गुनाह के बारे में पूछा जाएगा न किसी जिन से
49415540فبأي آلاء ربكما تكذبان
तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को न मानोगे
49425541يعرف المجرمون بسيماهم فيؤخذ بالنواصي والأقدام
गुनाहगार लोग तो अपने चेहरों ही से पहचान लिए जाएँगे तो पेशानी के पटटे और पाँव पकड़े (जहन्नुम में डाल दिये जाएँगे)
49435542فبأي آلاء ربكما تكذبان
आख़िर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
49445543هذه جهنم التي يكذب بها المجرمون
(फिर उनसे कहा जाएगा) यही वह जहन्नुम है जिसे गुनाहगार लोग झुठलाया करते थे


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