بسم الله الرحمن الرحيم

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49325531سنفرغ لكم أيه الثقلان
(ऐ दोनों गिरोहों) हम अनक़रीब ही तुम्हारी तरफ मुतावज्जे होंगे
49335532فبأي آلاء ربكما تكذبان
तो तुम दोनों अपने पालने वाले की किस किस नेअमत को न मानोगे
49345533يا معشر الجن والإنس إن استطعتم أن تنفذوا من أقطار السماوات والأرض فانفذوا لا تنفذون إلا بسلطان
ऐ गिरोह जिन व इन्स अगर तुममें क़ुदरत है कि आसमानों और ज़मीन के किनारों से (होकर कहीं) निकल (कर मौत या अज़ाब से भाग) सको तो निकल जाओ (मगर) तुम तो बग़ैर क़ूवत और ग़लबे के निकल ही नहीं सकते (हालॉ कि तुममें न क़ूवत है और न ही ग़लबा)
49355534فبأي آلاء ربكما تكذبان
तो तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे
49365535يرسل عليكما شواظ من نار ونحاس فلا تنتصران
(गुनाहगार जिनों और आदमियों जहन्नुम में) तुम दोनो पर आग का सब्ज़ शोला और सियाह धुऑं छोड़ दिया जाएगा तो तुम दोनों (किस तरह) रोक नहीं सकोगे
49375536فبأي آلاء ربكما تكذبان
फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
49385537فإذا انشقت السماء فكانت وردة كالدهان
फिर जब आसमान फट कर (क़यामत में) तेल की तरह लाल हो जाऐगा
49395538فبأي آلاء ربكما تكذبان
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे
49405539فيومئذ لا يسأل عن ذنبه إنس ولا جان
तो उस दिन न तो किसी इन्सान से उसके गुनाह के बारे में पूछा जाएगा न किसी जिन से
49415540فبأي آلاء ربكما تكذبان
तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को न मानोगे


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