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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4932 | 55 | 31 | سنفرغ لكم أيه الثقلان |
| | | (ऐ दोनों गिरोहों) हम अनक़रीब ही तुम्हारी तरफ मुतावज्जे होंगे |
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4933 | 55 | 32 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | तो तुम दोनों अपने पालने वाले की किस किस नेअमत को न मानोगे |
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4934 | 55 | 33 | يا معشر الجن والإنس إن استطعتم أن تنفذوا من أقطار السماوات والأرض فانفذوا لا تنفذون إلا بسلطان |
| | | ऐ गिरोह जिन व इन्स अगर तुममें क़ुदरत है कि आसमानों और ज़मीन के किनारों से (होकर कहीं) निकल (कर मौत या अज़ाब से भाग) सको तो निकल जाओ (मगर) तुम तो बग़ैर क़ूवत और ग़लबे के निकल ही नहीं सकते (हालॉ कि तुममें न क़ूवत है और न ही ग़लबा) |
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4935 | 55 | 34 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | तो तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे |
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4936 | 55 | 35 | يرسل عليكما شواظ من نار ونحاس فلا تنتصران |
| | | (गुनाहगार जिनों और आदमियों जहन्नुम में) तुम दोनो पर आग का सब्ज़ शोला और सियाह धुऑं छोड़ दिया जाएगा तो तुम दोनों (किस तरह) रोक नहीं सकोगे |
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4937 | 55 | 36 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे |
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4938 | 55 | 37 | فإذا انشقت السماء فكانت وردة كالدهان |
| | | फिर जब आसमान फट कर (क़यामत में) तेल की तरह लाल हो जाऐगा |
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4939 | 55 | 38 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे |
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4940 | 55 | 39 | فيومئذ لا يسأل عن ذنبه إنس ولا جان |
| | | तो उस दिन न तो किसी इन्सान से उसके गुनाह के बारे में पूछा जाएगा न किसी जिन से |
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4941 | 55 | 40 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को न मानोगे |
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