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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4922 | 55 | 21 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | तो (ऐ जिन व इन्स) तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे |
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4923 | 55 | 22 | يخرج منهما اللؤلؤ والمرجان |
| | | इन दोनों दरियाओं से मोती और मूँगे निकलते हैं |
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4924 | 55 | 23 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | (तो जिन व इन्स) तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत को न मानोगे |
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4925 | 55 | 24 | وله الجوار المنشآت في البحر كالأعلام |
| | | और जहाज़ जो दरिया में पहाड़ों की तरह ऊँचे खड़े रहते हैं उसी के हैं |
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4926 | 55 | 25 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | तो (ऐ जिन व इन्स) तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे |
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4927 | 55 | 26 | كل من عليها فان |
| | | जो (मख़लूक) ज़मीन पर है सब फ़ना होने वाली है |
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4928 | 55 | 27 | ويبقى وجه ربك ذو الجلال والإكرام |
| | | और सिर्फ तुम्हारे परवरदिगार की ज़ात जो अज़मत और करामत वाली है बाक़ी रहेगी |
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4929 | 55 | 28 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे |
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4930 | 55 | 29 | يسأله من في السماوات والأرض كل يوم هو في شأن |
| | | और जितने लोग सारे आसमान व ज़मीन में हैं (सब) उसी से माँगते हैं वह हर रोज़ (हर वक्त) मख़लूक के एक न एक काम में है |
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4931 | 55 | 30 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | तो तुम दोनों अपने सरपरस्त की कौन कौन सी नेअमत से मुकरोगे |
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