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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4905 | 55 | 4 | علمه البيان |
| | | उसे बोलना सिखाया; |
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4906 | 55 | 5 | الشمس والقمر بحسبان |
| | | सूर्य और चन्द्रमा एक हिसाब के पाबन्द है; |
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4907 | 55 | 6 | والنجم والشجر يسجدان |
| | | और तारे और वृक्ष सजदा करते है; |
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4908 | 55 | 7 | والسماء رفعها ووضع الميزان |
| | | उसने आकाश को ऊँचा किया और संतुलन स्थापित किया - |
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4909 | 55 | 8 | ألا تطغوا في الميزان |
| | | कि तुम भी तुला में सीमा का उल्लंघन न करो |
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4910 | 55 | 9 | وأقيموا الوزن بالقسط ولا تخسروا الميزان |
| | | न्याय के साथ ठीक-ठीक तौलो और तौल में कमी न करो। - |
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4911 | 55 | 10 | والأرض وضعها للأنام |
| | | और धरती को उसने सृष्टल प्राणियों के लिए बनाया; |
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4912 | 55 | 11 | فيها فاكهة والنخل ذات الأكمام |
| | | उसमें स्वादिष्ट फल है और खजूर के वृक्ष है, जिनके फल आवरणों में लिपटे हुए है, |
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4913 | 55 | 12 | والحب ذو العصف والريحان |
| | | और भुसवाले अनाज भी और सुगंधित बेल-बूटा भी |
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4914 | 55 | 13 | فبأي آلاء ربكما تكذبان |
| | | तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? |
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