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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4876 | 54 | 30 | فكيف كان عذابي ونذر |
| | | तो (देखो) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था |
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4877 | 54 | 31 | إنا أرسلنا عليهم صيحة واحدة فكانوا كهشيم المحتظر |
| | | हमने उन पर एक सख्त चिंघाड़ (का अज़ाब) भेज दिया तो वह बाड़े वालो के सूखे हुए चूर चूर भूसे की तरह हो गए |
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4878 | 54 | 32 | ولقد يسرنا القرآن للذكر فهل من مدكر |
| | | और हमने क़ुरान को नसीहत हासिल करने के वास्ते आसान कर दिया है तो कोई है जो नसीहत हासिल करे |
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4879 | 54 | 33 | كذبت قوم لوط بالنذر |
| | | लूत की क़ौम ने भी डराने वाले (पैग़म्बरों) को झुठलाया |
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4880 | 54 | 34 | إنا أرسلنا عليهم حاصبا إلا آل لوط نجيناهم بسحر |
| | | तो हमने उन पर कंकर भरी हवा चलाई मगर लूत के लड़के बाले को हमने उनको अपने फज़ल व करम से पिछले ही को बचा लिया |
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4881 | 54 | 35 | نعمة من عندنا كذلك نجزي من شكر |
| | | हम शुक्र करने वालों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं |
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4882 | 54 | 36 | ولقد أنذرهم بطشتنا فتماروا بالنذر |
| | | और लूत ने उनको हमारी पकड़ से भी डराया था मगर उन लोगों ने डराते ही में शक़ किया |
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4883 | 54 | 37 | ولقد راودوه عن ضيفه فطمسنا أعينهم فذوقوا عذابي ونذر |
| | | और उनसे उनके मेहमान (फ़रिश्ते) के बारे में नाजायज़ मतलब की ख्वाहिश की तो हमने उनकी ऑंखें अन्धी कर दीं तो मेरे अज़ाब और डराने का मज़ा चखो |
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4884 | 54 | 38 | ولقد صبحهم بكرة عذاب مستقر |
| | | और सुबह सवेरे ही उन पर अज़ाब आ गया जो किसी तरह टल ही नहीं सकता था |
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4885 | 54 | 39 | فذوقوا عذابي ونذر |
| | | तो मेरे अज़ाब और डराने के (पड़े) मज़े चखो |
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