نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4875 | 54 | 29 | فنادوا صاحبهم فتعاطى فعقر |
| | | अन्ततः उन्होंने अपने साथी को पुकारा, तो उसने ज़िम्मा लिया फिर उसने उसकी कूचें काट दी |
|
4876 | 54 | 30 | فكيف كان عذابي ونذر |
| | | फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे? |
|
4877 | 54 | 31 | إنا أرسلنا عليهم صيحة واحدة فكانوا كهشيم المحتظر |
| | | हमने उनपर एक धमाका छोड़ा, फिर वे बाड़ लगानेवाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह चूरा होकर रह गए |
|
4878 | 54 | 32 | ولقد يسرنا القرآن للذكر فهل من مدكر |
| | | हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या कोई नसीहत हासिल करनेवाला? |
|
4879 | 54 | 33 | كذبت قوم لوط بالنذر |
| | | लूत की क़ौम ने भी चेतावनियों को झुठलाया |
|
4880 | 54 | 34 | إنا أرسلنا عليهم حاصبا إلا آل لوط نجيناهم بسحر |
| | | हमने लूत के घरवालों के सिवा उनपर पथराव करनेवाली तेज़ वायु भेजी। |
|
4881 | 54 | 35 | نعمة من عندنا كذلك نجزي من شكر |
| | | हमने अपनी विशेष अनुकम्पा से प्रातःकाल उन्हें बचा लिया। हम इसी तरह उस व्यक्ति को बदला देते है जो कृतज्ञता दिखाए |
|
4882 | 54 | 36 | ولقد أنذرهم بطشتنا فتماروا بالنذر |
| | | उसने जो उन्हें हमारी पकड़ से सावधान कर दिया था। किन्तु वे चेतावनियों के विषय में संदेह करते रहे |
|
4883 | 54 | 37 | ولقد راودوه عن ضيفه فطمسنا أعينهم فذوقوا عذابي ونذر |
| | | उन्होंने उसे फुसलाकर उसके पास से उसके अतिथियों को बलाना चाहा। अन्ततः हमने उसकी आँखें मेट दीं, "लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!" |
|
4884 | 54 | 38 | ولقد صبحهم بكرة عذاب مستقر |
| | | सुबह सवेरे ही एक अटल यातना उनपर आ पहुँची, |
|