نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4864 | 54 | 18 | كذبت عاد فكيف كان عذابي ونذر |
| | | आद ने भी झुठलाया, फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरा डराना? |
|
4865 | 54 | 19 | إنا أرسلنا عليهم ريحا صرصرا في يوم نحس مستمر |
| | | निश्चय ही हमने एक निरन्तर अशुभ दिन में तेज़ प्रचंड ठंडी हवा भेजी, उसे उनपर मुसल्लत कर दिया, तो वह लोगों को उखाड़ फेंक रही थी |
|
4866 | 54 | 20 | تنزع الناس كأنهم أعجاز نخل منقعر |
| | | मानो वे उखड़े खजूर के तने हो |
|
4867 | 54 | 21 | فكيف كان عذابي ونذر |
| | | फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे? |
|
4868 | 54 | 22 | ولقد يسرنا القرآن للذكر فهل من مدكر |
| | | और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला? |
|
4869 | 54 | 23 | كذبت ثمود بالنذر |
| | | समूद ने चेतावनियों को झुठलाया; |
|
4870 | 54 | 24 | فقالوا أبشرا منا واحدا نتبعه إنا إذا لفي ضلال وسعر |
| | | और कहने लगे, "एक अकेला आदमी, जो हम ही में से है, क्या हम उसके पीछे चलेंगे? तब तो वास्तव में हम गुमराही और दीवानापन में पड़ गए! |
|
4871 | 54 | 25 | أألقي الذكر عليه من بيننا بل هو كذاب أشر |
| | | "क्या हमारे बीच उसी पर अनुस्मृति उतारी है? नहीं, बल्कि वह तो परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है।" |
|
4872 | 54 | 26 | سيعلمون غدا من الكذاب الأشر |
| | | "कल को ही वे जान लेंगे कि कौन परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है। |
|
4873 | 54 | 27 | إنا مرسلو الناقة فتنة لهم فارتقبهم واصطبر |
| | | हम ऊँटनी को उनके लिए परीक्षा के रूप में भेज रहे है। अतः तुम उन्हें देखते जाओ और धैर्य से काम लो |
|