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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4863 | 54 | 17 | ولقد يسرنا القرآن للذكر فهل من مدكر |
| | | और हमने तो क़ुरान को नसीहत हासिल करने के वास्ते आसान कर दिया है तो कोई है जो नसीहत हासिल करे |
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4864 | 54 | 18 | كذبت عاد فكيف كان عذابي ونذر |
| | | आद (की क़ौम ने) (अपने पैग़म्बर) को झुठलाया तो (उनका) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था, |
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4865 | 54 | 19 | إنا أرسلنا عليهم ريحا صرصرا في يوم نحس مستمر |
| | | हमने उन पर बहुत सख्त मनहूस दिन में बड़े ज़न्नाटे की ऑंधी चलायी |
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4866 | 54 | 20 | تنزع الناس كأنهم أعجاز نخل منقعر |
| | | जो लोगों को (अपनी जगह से) इस तरह उखाड़ फेकती थी गोया वह उखड़े हुए खजूर के तने हैं |
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4867 | 54 | 21 | فكيف كان عذابي ونذر |
| | | तो (उनको) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था |
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4868 | 54 | 22 | ولقد يسرنا القرآن للذكر فهل من مدكر |
| | | और हमने तो क़ुरान को नसीहत हासिल करने के वास्ते आसान कर दिया, तो कोई है जो नसीहत हासिल करे |
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4869 | 54 | 23 | كذبت ثمود بالنذر |
| | | (क़ौम) समूद ने डराने वाले (पैग़म्बरों) को झुठलाया |
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4870 | 54 | 24 | فقالوا أبشرا منا واحدا نتبعه إنا إذا لفي ضلال وسعر |
| | | तो कहने लगे कि भला एक आदमी की जो हम ही में से हो उसकी पैरवीं करें ऐसा करें तो गुमराही और दीवानगी में पड़ गए |
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4871 | 54 | 25 | أألقي الذكر عليه من بيننا بل هو كذاب أشر |
| | | क्या हम सबमें बस उसी पर वही नाज़िल हुई है (नहीं) बल्कि ये तो बड़ा झूठा तअल्ली करने वाला है |
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4872 | 54 | 26 | سيعلمون غدا من الكذاب الأشر |
| | | उनको अनक़रीब कल ही मालूम हो जाएगा कि कौन बड़ा झूठा तकब्बुर करने वाला है |
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