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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4805 | 53 | 21 | ألكم الذكر وله الأنثى |
| | | क्या तुम्हारे तो बेटे हैं और उसके लिए बेटियाँ |
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4806 | 53 | 22 | تلك إذا قسمة ضيزى |
| | | ये तो बहुत बेइन्साफ़ी की तक़सीम है |
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4807 | 53 | 23 | إن هي إلا أسماء سميتموها أنتم وآباؤكم ما أنزل الله بها من سلطان إن يتبعون إلا الظن وما تهوى الأنفس ولقد جاءهم من ربهم الهدى |
| | | ये तो बस सिर्फ नाम ही नाम है जो तुमने और तुम्हारे बाप दादाओं ने गढ़ लिए हैं, ख़ुदा ने तो इसकी कोई सनद नाज़िल नहीं की ये लोग तो बस अटकल और अपनी नफ़सानी ख्वाहिश के पीछे चल रहे हैं हालॉकि उनके पास उनके परवरदिगार की तरफ से हिदायत भी आ चुकी है |
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4808 | 53 | 24 | أم للإنسان ما تمنى |
| | | क्या जिस चीज़ की इन्सान तमन्ना करे वह उसे ज़रूर मिलती है |
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4809 | 53 | 25 | فلله الآخرة والأولى |
| | | आख़ेरत और दुनिया तो ख़ास ख़ुदा ही के एख्तेयार में हैं |
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4810 | 53 | 26 | وكم من ملك في السماوات لا تغني شفاعتهم شيئا إلا من بعد أن يأذن الله لمن يشاء ويرضى |
| | | और आसमानों में बहुत से फरिश्ते हैं जिनकी सिफ़ारिश कुछ भी काम न आती, मगर ख़ुदा जिसके लिए चाहे इजाज़त दे दे और पसन्द करे उसके बाद (सिफ़ारिश कर सकते हैं) |
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4811 | 53 | 27 | إن الذين لا يؤمنون بالآخرة ليسمون الملائكة تسمية الأنثى |
| | | जो लोग आख़ेरत पर ईमान नहीं रखते वह फ़रिश्तों के नाम रखते हैं औरतों के से नाम हालॉकि उन्हें इसकी कुछ ख़बर नहीं |
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4812 | 53 | 28 | وما لهم به من علم إن يتبعون إلا الظن وإن الظن لا يغني من الحق شيئا |
| | | वह लोग तो बस गुमान (ख्याल) के पीछे चल रहे हैं, हालॉकि गुमान यक़ीन के बदले में कुछ भी काम नहीं आया करता, |
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4813 | 53 | 29 | فأعرض عن من تولى عن ذكرنا ولم يرد إلا الحياة الدنيا |
| | | तो जो हमारी याद से रदगिरदानी करे ओर सिर्फ दुनिया की ज़िन्दगी ही का तालिब हो तुम भी उससे मुँह फेर लो |
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4814 | 53 | 30 | ذلك مبلغهم من العلم إن ربك هو أعلم بمن ضل عن سبيله وهو أعلم بمن اهتدى |
| | | उनके इल्म की यही इन्तिहा है तुम्हारा परवरदिगार, जो उसके रास्ते से भटक गया उसको भी ख़ूब जानता है, और जो राहे रास्त पर है उनसे भी ख़ूब वाक़िफ है |
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