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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4732 | 51 | 57 | ما أريد منهم من رزق وما أريد أن يطعمون |
| | | न तो मैं उनसे रोज़ी का तालिब हूँ और न ये चाहता हूँ कि मुझे खाना खिलाएँ |
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4733 | 51 | 58 | إن الله هو الرزاق ذو القوة المتين |
| | | ख़ुदा ख़ुद बड़ा रोज़ी देने वाला ज़ोरावर (और) ज़बरदस्त है |
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4734 | 51 | 59 | فإن للذين ظلموا ذنوبا مثل ذنوب أصحابهم فلا يستعجلون |
| | | तो (इन) ज़ालिमों के वास्ते भी अज़ाब का कुछ हिस्सा है जिस तरह उनके साथियों के लिए हिस्सा था तो इनको हम से जल्दी न करनी चाहिए |
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4735 | 51 | 60 | فويل للذين كفروا من يومهم الذي يوعدون |
| | | तो जिस दिन का इन काफ़िरों से वायदा किया जाता है इससे इनके लिए ख़राबी है |
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4736 | 52 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم والطور |
| | | (कोहे) तूर की क़सम |
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4737 | 52 | 2 | وكتاب مسطور |
| | | और उसकी किताब (लौहे महफूज़) की |
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4738 | 52 | 3 | في رق منشور |
| | | जो क़ुशादा औराक़ में लिखी हुई है |
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4739 | 52 | 4 | والبيت المعمور |
| | | और बैतुल मामूर की (जो काबा के सामने फरिश्तों का क़िब्ला है) |
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4740 | 52 | 5 | والسقف المرفوع |
| | | और ऊँची छत (आसमान) की |
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4741 | 52 | 6 | والبحر المسجور |
| | | और जोश व ख़रोश वाले समन्दर की |
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