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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4671 | 50 | 41 | واستمع يوم يناد المناد من مكان قريب |
| | | और कान लगा कर सुन रखो कि जिस दिन पुकारने वाला (इसराफ़ील) नज़दीक ही जगह से आवाज़ देगा |
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4672 | 50 | 42 | يوم يسمعون الصيحة بالحق ذلك يوم الخروج |
| | | (कि उठो) जिस दिन लोग एक सख्त चीख़ को बाख़ूबी सुन लेगें वही दिन (लोगों) के कब्रों से निकलने का होगा |
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4673 | 50 | 43 | إنا نحن نحيي ونميت وإلينا المصير |
| | | बेशक हम ही (लोगों को) ज़िन्दा करते हैं और हम ही मारते हैं |
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4674 | 50 | 44 | يوم تشقق الأرض عنهم سراعا ذلك حشر علينا يسير |
| | | और हमारी ही तरफ फिर कर आना है जिस दिन ज़मीन (उनके ऊपर से) फट जाएगी और ये झट पट निकल खड़े होंगे ये उठाना और जमा करना |
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4675 | 50 | 45 | نحن أعلم بما يقولون وما أنت عليهم بجبار فذكر بالقرآن من يخاف وعيد |
| | | और हम पर बहुत आसान है (ऐ रसूल) ये लोग जो कुछ कहते हैं हम (उसे) ख़ूब जानते हैं और तुम उन पर जब्र तो देते नहीं हो तो जो हमारे (अज़ाब के) वायदे से डरे उसको तुम क़ुरान के ज़रिए नसीहत करते रहो |
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4676 | 51 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم والذاريات ذروا |
| | | उन (हवाओं की क़सम) जो (बादलों को) उड़ा कर तितर बितर कर देती हैं |
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4677 | 51 | 2 | فالحاملات وقرا |
| | | फिर (पानी का) बोझ उठाती हैं |
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4678 | 51 | 3 | فالجاريات يسرا |
| | | फिर आहिस्ता आहिस्ता चलती हैं |
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4679 | 51 | 4 | فالمقسمات أمرا |
| | | फिर एक ज़रूरी चीज़ (बारिश) को तक़सीम करती हैं |
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4680 | 51 | 5 | إنما توعدون لصادق |
| | | कि तुम से जो वायदा किया जाता है ज़रूर बिल्कुल सच्चा है |
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