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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4636 | 50 | 6 | أفلم ينظروا إلى السماء فوقهم كيف بنيناها وزيناها وما لها من فروج |
| | | तो क्या इन लोगों ने अपने ऊपर आसमान की नज़र नहीं की कि हमने उसको क्यों कर बनाया और उसको कैसी ज़ीनत दी और उनसे कहीं शिगाफ्त तक नहीं |
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4637 | 50 | 7 | والأرض مددناها وألقينا فيها رواسي وأنبتنا فيها من كل زوج بهيج |
| | | और ज़मीन को हमने फैलाया और उस पर बोझल पहाड़ रख दिये और इसमें हर तरह की ख़ुशनुमा चीज़ें उगाई ताकि तमाम रूजू लाने वाले |
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4638 | 50 | 8 | تبصرة وذكرى لكل عبد منيب |
| | | (बन्दे) हिदायत और इबरत हासिल करें |
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4639 | 50 | 9 | ونزلنا من السماء ماء مباركا فأنبتنا به جنات وحب الحصيد |
| | | और हमने आसमान से बरकत वाला पानी बरसाया तो उससे बाग़ (के दरख्त) उगाए और खेती का अनाज और लम्बी लम्बी खजूरें |
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4640 | 50 | 10 | والنخل باسقات لها طلع نضيد |
| | | जिसका बौर बाहम गुथा हुआ है |
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4641 | 50 | 11 | رزقا للعباد وأحيينا به بلدة ميتا كذلك الخروج |
| | | (ये सब कुछ) बन्दों की रोज़ी देने के लिए (पैदा किया) और पानी ही से हमने मुर्दा शहर (उफ़तादा ज़मीन) को ज़िन्दा किया |
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4642 | 50 | 12 | كذبت قبلهم قوم نوح وأصحاب الرس وثمود |
| | | इसी तरह (क़यामत में मुर्दों को) निकलना होगा उनसे पहले नूह की क़ौम और ख़न्दक़ वालों और (क़ौम) समूद ने अपने अपने पैग़म्बरों को झुठलाया |
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4643 | 50 | 13 | وعاد وفرعون وإخوان لوط |
| | | और (क़ौम) आद और फिरऔन और लूत की क़ौम |
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4644 | 50 | 14 | وأصحاب الأيكة وقوم تبع كل كذب الرسل فحق وعيد |
| | | और बन के रहने वालों (क़ौम शुऐब) और तुब्बा की क़ौम और (उन) सबने अपने (अपने) पैग़म्बरों को झुठलाया तो हमारा (अज़ाब का) वायदा पूरा हो कर रहा |
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4645 | 50 | 15 | أفعيينا بالخلق الأول بل هم في لبس من خلق جديد |
| | | तो क्या हम पहली बार पैदा करके थक गये हैं (हरगिज़ नहीं) मगर ये लोग अज़ सरे नौ (दोबारा) पैदा करने की निस्बत शक़ में पड़े हैं |
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