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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4628 | 49 | 16 | قل أتعلمون الله بدينكم والله يعلم ما في السماوات وما في الأرض والله بكل شيء عليم |
| | | (ऐ रसूल इनसे) पूछो तो कि क्या तुम ख़ुदा को अपनी दीदारी जताते हो और ख़ुदा तो जो कुछ आसमानों मे है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) जानता है और ख़ुदा हर चीज़ से ख़बरदार है |
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4629 | 49 | 17 | يمنون عليك أن أسلموا قل لا تمنوا علي إسلامكم بل الله يمن عليكم أن هداكم للإيمان إن كنتم صادقين |
| | | (ऐ रसूल) तुम पर ये लोग (इसलाम लाने का) एहसान जताते हैं तुम (साफ़) कह दो कि तुम अपने इसलाम का मुझ पर एहसान न जताओ (बल्कि) अगर तुम (दावाए ईमान में) सच्चे हो तो समझो कि, ख़ुदा ने तुम पर एहसान किया कि उसने तुमको ईमान का रास्ता दिखाया |
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4630 | 49 | 18 | إن الله يعلم غيب السماوات والأرض والله بصير بما تعملون |
| | | बेशक ख़ुदा तो सारे आसमानों और ज़मीन की छिपी हुई बातों को जानता है और जो तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है |
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4631 | 50 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم ق والقرآن المجيد |
| | | क़ाफ़ क़ुरान मजीद की क़सम (मोहम्मद पैग़म्बर हैं) |
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4632 | 50 | 2 | بل عجبوا أن جاءهم منذر منهم فقال الكافرون هذا شيء عجيب |
| | | लेकिन इन (काफिरों) को ताज्जुब है कि उन ही में एक (अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) उनके पास आ गया तो कुफ्फ़ार कहने लगे ये तो एक अजीब बात है |
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4633 | 50 | 3 | أإذا متنا وكنا ترابا ذلك رجع بعيد |
| | | भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी हो जाएँगे तो फिर ये दोबार ज़िन्दा होना (अक्ल से) बईद (बात है) |
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4634 | 50 | 4 | قد علمنا ما تنقص الأرض منهم وعندنا كتاب حفيظ |
| | | उनके जिस्मों से ज़मीन जिस चीज़ को (खा खा कर) कम करती है वह हमको मालूम है और हमारे पास तो तहरीरी याददाश्त किताब लौहे महफूज़ मौजूद है |
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4635 | 50 | 5 | بل كذبوا بالحق لما جاءهم فهم في أمر مريج |
| | | मगर जब उनके पास दीन (हक़) आ पहुँचा तो उन्होने उसे झुठलाया तो वह लोग एक ऐसी बात में उलझे हुए हैं जिसे क़रार नहीं |
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4636 | 50 | 6 | أفلم ينظروا إلى السماء فوقهم كيف بنيناها وزيناها وما لها من فروج |
| | | तो क्या इन लोगों ने अपने ऊपर आसमान की नज़र नहीं की कि हमने उसको क्यों कर बनाया और उसको कैसी ज़ीनत दी और उनसे कहीं शिगाफ्त तक नहीं |
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4637 | 50 | 7 | والأرض مددناها وألقينا فيها رواسي وأنبتنا فيها من كل زوج بهيج |
| | | और ज़मीन को हमने फैलाया और उस पर बोझल पहाड़ रख दिये और इसमें हर तरह की ख़ुशनुमा चीज़ें उगाई ताकि तमाम रूजू लाने वाले |
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