بسم الله الرحمن الرحيم

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4613491بسم الله الرحمن الرحيم يا أيها الذين آمنوا لا تقدموا بين يدي الله ورسوله واتقوا الله إن الله سميع عليم
ऐ ईमानदारों ख़ुदा और उसके रसूल के सामने किसी बात में आगे न बढ़ जाया करो और ख़ुदा से डरते रहो बेशक ख़ुदा बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है
4614492يا أيها الذين آمنوا لا ترفعوا أصواتكم فوق صوت النبي ولا تجهروا له بالقول كجهر بعضكم لبعض أن تحبط أعمالكم وأنتم لا تشعرون
ऐ ईमानदारों (बोलने में) अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर (ज़ोर) से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो (ऐसा न हो कि) तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो
4615493إن الذين يغضون أصواتهم عند رسول الله أولئك الذين امتحن الله قلوبهم للتقوى لهم مغفرة وأجر عظيم
बेशक जो लोग रसूले ख़ुदा के सामने अपनी आवाज़ें धीमी कर लिया करते हैं यही लोग हैं जिनके दिलों को ख़ुदा ने परहेज़गारी के लिए जाँच लिया है उनके लिए (आख़ेरत में) बख़्शिस और बड़ा अज्र है
4616494إن الذين ينادونك من وراء الحجرات أكثرهم لا يعقلون
(ऐ रसूल) जो लोग तुमको हुजरों के बाहर से आवाज़ देते हैं उनमें के अक्सर बे अक्ल हैं
4617495ولو أنهم صبروا حتى تخرج إليهم لكان خيرا لهم والله غفور رحيم
और अगर ये लोग इतना ताम्मुल करते कि तुम ख़ुद निकल कर उनके पास आ जाते (तब बात करते) तो ये उनके लिए बेहतर था और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
4618496يا أيها الذين آمنوا إن جاءكم فاسق بنبإ فتبينوا أن تصيبوا قوما بجهالة فتصبحوا على ما فعلتم نادمين
ऐ ईमानदारों अगर कोई बदकिरदार तुम्हारे पास कोई ख़बर लेकर आए तो ख़ूब तहक़ीक़ कर लिया करो (ऐसा न हो) कि तुम किसी क़ौम को नादानी से नुक़सान पहुँचाओ फिर अपने किए पर नादिम हो
4619497واعلموا أن فيكم رسول الله لو يطيعكم في كثير من الأمر لعنتم ولكن الله حبب إليكم الإيمان وزينه في قلوبكم وكره إليكم الكفر والفسوق والعصيان أولئك هم الراشدون
और जान रखो कि तुम में ख़ुदा के पैग़म्बर (मौजूद) हैं बहुत सी बातें ऐसी हैं कि अगर रसूल उनमें तुम्हारा कहा मान लिया करें तो (उलटे) तुम ही मुश्किल में पड़ जाओ लेकिन ख़ुदा ने तुम्हें ईमान की मोहब्बत दे दी है और उसको तुम्हारे दिलों में उमदा कर दिखाया है और कुफ़्र और बदकारी और नाफ़रमानी से तुमको बेज़ार कर दिया है यही लोग ख़ुदा के फ़ज़ल व एहसान से राहे हिदायत पर हैं
4620498فضلا من الله ونعمة والله عليم حكيم
और ख़ुदा तो बड़ा वाक़िफ़कार और हिकमत वाला है
4621499وإن طائفتان من المؤمنين اقتتلوا فأصلحوا بينهما فإن بغت إحداهما على الأخرى فقاتلوا التي تبغي حتى تفيء إلى أمر الله فإن فاءت فأصلحوا بينهما بالعدل وأقسطوا إن الله يحب المقسطين
और अगर मोमिनीन में से दो फिरक़े आपस में लड़ पड़े तो उन दोनों में सुलह करा दो फिर अगर उनमें से एक (फ़रीक़) दूसरे पर ज्यादती करे तो जो (फिरक़ा) ज्यादती करे तुम (भी) उससे लड़ो यहाँ तक वह ख़ुदा के हुक्म की तरफ रूझू करे फिर जब रूजू करे तो फरीकैन में मसावात के साथ सुलह करा दो और इन्साफ़ से काम लो बेशक ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है
46224910إنما المؤمنون إخوة فأصلحوا بين أخويكم واتقوا الله لعلكم ترحمون
मोमिनीन तो आपस में बस भाई भाई हैं तो अपने दो भाईयों में मेल जोल करा दिया करो और ख़ुदा से डरते रहो ताकि तुम पर रहम किया जाए


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