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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4613 | 49 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم يا أيها الذين آمنوا لا تقدموا بين يدي الله ورسوله واتقوا الله إن الله سميع عليم |
| | | ऐ ईमानदारों ख़ुदा और उसके रसूल के सामने किसी बात में आगे न बढ़ जाया करो और ख़ुदा से डरते रहो बेशक ख़ुदा बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है |
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4614 | 49 | 2 | يا أيها الذين آمنوا لا ترفعوا أصواتكم فوق صوت النبي ولا تجهروا له بالقول كجهر بعضكم لبعض أن تحبط أعمالكم وأنتم لا تشعرون |
| | | ऐ ईमानदारों (बोलने में) अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर (ज़ोर) से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो (ऐसा न हो कि) तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो |
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4615 | 49 | 3 | إن الذين يغضون أصواتهم عند رسول الله أولئك الذين امتحن الله قلوبهم للتقوى لهم مغفرة وأجر عظيم |
| | | बेशक जो लोग रसूले ख़ुदा के सामने अपनी आवाज़ें धीमी कर लिया करते हैं यही लोग हैं जिनके दिलों को ख़ुदा ने परहेज़गारी के लिए जाँच लिया है उनके लिए (आख़ेरत में) बख़्शिस और बड़ा अज्र है |
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4616 | 49 | 4 | إن الذين ينادونك من وراء الحجرات أكثرهم لا يعقلون |
| | | (ऐ रसूल) जो लोग तुमको हुजरों के बाहर से आवाज़ देते हैं उनमें के अक्सर बे अक्ल हैं |
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4617 | 49 | 5 | ولو أنهم صبروا حتى تخرج إليهم لكان خيرا لهم والله غفور رحيم |
| | | और अगर ये लोग इतना ताम्मुल करते कि तुम ख़ुद निकल कर उनके पास आ जाते (तब बात करते) तो ये उनके लिए बेहतर था और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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4618 | 49 | 6 | يا أيها الذين آمنوا إن جاءكم فاسق بنبإ فتبينوا أن تصيبوا قوما بجهالة فتصبحوا على ما فعلتم نادمين |
| | | ऐ ईमानदारों अगर कोई बदकिरदार तुम्हारे पास कोई ख़बर लेकर आए तो ख़ूब तहक़ीक़ कर लिया करो (ऐसा न हो) कि तुम किसी क़ौम को नादानी से नुक़सान पहुँचाओ फिर अपने किए पर नादिम हो |
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4619 | 49 | 7 | واعلموا أن فيكم رسول الله لو يطيعكم في كثير من الأمر لعنتم ولكن الله حبب إليكم الإيمان وزينه في قلوبكم وكره إليكم الكفر والفسوق والعصيان أولئك هم الراشدون |
| | | और जान रखो कि तुम में ख़ुदा के पैग़म्बर (मौजूद) हैं बहुत सी बातें ऐसी हैं कि अगर रसूल उनमें तुम्हारा कहा मान लिया करें तो (उलटे) तुम ही मुश्किल में पड़ जाओ लेकिन ख़ुदा ने तुम्हें ईमान की मोहब्बत दे दी है और उसको तुम्हारे दिलों में उमदा कर दिखाया है और कुफ़्र और बदकारी और नाफ़रमानी से तुमको बेज़ार कर दिया है यही लोग ख़ुदा के फ़ज़ल व एहसान से राहे हिदायत पर हैं |
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4620 | 49 | 8 | فضلا من الله ونعمة والله عليم حكيم |
| | | और ख़ुदा तो बड़ा वाक़िफ़कार और हिकमत वाला है |
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4621 | 49 | 9 | وإن طائفتان من المؤمنين اقتتلوا فأصلحوا بينهما فإن بغت إحداهما على الأخرى فقاتلوا التي تبغي حتى تفيء إلى أمر الله فإن فاءت فأصلحوا بينهما بالعدل وأقسطوا إن الله يحب المقسطين |
| | | और अगर मोमिनीन में से दो फिरक़े आपस में लड़ पड़े तो उन दोनों में सुलह करा दो फिर अगर उनमें से एक (फ़रीक़) दूसरे पर ज्यादती करे तो जो (फिरक़ा) ज्यादती करे तुम (भी) उससे लड़ो यहाँ तक वह ख़ुदा के हुक्म की तरफ रूझू करे फिर जब रूजू करे तो फरीकैन में मसावात के साथ सुलह करा दो और इन्साफ़ से काम लो बेशक ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है |
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4622 | 49 | 10 | إنما المؤمنون إخوة فأصلحوا بين أخويكم واتقوا الله لعلكم ترحمون |
| | | मोमिनीन तो आपस में बस भाई भाई हैं तो अपने दो भाईयों में मेल जोल करा दिया करो और ख़ुदा से डरते रहो ताकि तुम पर रहम किया जाए |
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