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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4595 | 48 | 12 | بل ظننتم أن لن ينقلب الرسول والمؤمنون إلى أهليهم أبدا وزين ذلك في قلوبكم وظننتم ظن السوء وكنتم قوما بورا |
| | | (ये फ़क़त तुम्हारे हीले हैं) बात ये है कि तुम ये समझे बैठे थे कि रसूल और मोमिनीन हरगिज़ कभी अपने लड़के वालों में पलट कर आने ही के नहीं (और सब मार डाले जाएँगे) और यही बात तुम्हारे दिलों में भी खप गयी थी और इसी वजह से, तुम तरह तरह की बदगुमानियाँ करने लगे थे और (आख़िरकार) तुम लोग आप बरबाद हुए |
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4596 | 48 | 13 | ومن لم يؤمن بالله ورسوله فإنا أعتدنا للكافرين سعيرا |
| | | और जो शख़्श ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान न लाए तो हमने (ऐसे) काफ़िरों के लिए जहन्नुम की आग तैयार कर रखी है |
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4597 | 48 | 14 | ولله ملك السماوات والأرض يغفر لمن يشاء ويعذب من يشاء وكان الله غفورا رحيما |
| | | और सारे आसमान व ज़मीन की बादशाहत ख़ुदा ही की है जिसे चाहे बख्श दे और जिसे चाहे सज़ा दे और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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4598 | 48 | 15 | سيقول المخلفون إذا انطلقتم إلى مغانم لتأخذوها ذرونا نتبعكم يريدون أن يبدلوا كلام الله قل لن تتبعونا كذلكم قال الله من قبل فسيقولون بل تحسدوننا بل كانوا لا يفقهون إلا قليلا |
| | | (मुसलमानों) अब जो तुम (ख़ैबर की) ग़नीमतों के लेने को जाने लगोगे तो जो लोग (हुदैबिया से) पीछे रह गये थे तुम से कहेंगे कि हमें भी अपने साथ चलने दो ये चाहते हैं कि ख़ुदा के क़ौल को बदल दें तुम (साफ) कह दो कि तुम हरगिज़ हमारे साथ नहीं चलने पाओगे ख़ुदा ने पहले ही से ऐसा फ़रमा दिया है तो ये लोग कहेंगे कि तुम लोग तो हमसे हसद रखते हो (ख़ुदा ऐसा क्या कहेगा) बात ये है कि ये लोग बहुत ही कम समझते हैं |
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4599 | 48 | 16 | قل للمخلفين من الأعراب ستدعون إلى قوم أولي بأس شديد تقاتلونهم أو يسلمون فإن تطيعوا يؤتكم الله أجرا حسنا وإن تتولوا كما توليتم من قبل يعذبكم عذابا أليما |
| | | कि जो गवॉर पीछे रह गए थे उनसे कह दो कि अनक़रीब ही तुम सख्त जंगजू क़ौम के (साथ लड़ने के लिए) बुलाए जाओगे कि तुम (या तो) उनसे लड़ते ही रहोगे या मुसलमान ही हो जाएँगे पस अगर तुम (ख़ुदा का) हुक्म मानोगे तो ख़ुदा तुमको अच्छा बदला देगा और अगर तुमने जिस तरह पहली दफा सरताबी की थी अब भी सरताबी करोगे तो वह तुमको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा |
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4600 | 48 | 17 | ليس على الأعمى حرج ولا على الأعرج حرج ولا على المريض حرج ومن يطع الله ورسوله يدخله جنات تجري من تحتها الأنهار ومن يتول يعذبه عذابا أليما |
| | | (जेहाद से पीछे रह जाने का) न तो अन्धे ही पर कुछ गुनाह है और न लँगड़े पर गुनाह है और न बीमार पर गुनाह है और जो शख़्श ख़ुदा और उसके रसूल का हुक्म मानेगा तो वह उसको (बेहिश्त के) उन सदाबहार बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होंगी और जो सरताबी करेगा वह उसको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा |
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4601 | 48 | 18 | لقد رضي الله عن المؤمنين إذ يبايعونك تحت الشجرة فعلم ما في قلوبهم فأنزل السكينة عليهم وأثابهم فتحا قريبا |
| | | जिस वक्त मोमिनीन तुमसे दरख्त के नीचे (लड़ने मरने) की बैयत कर रहे थे तो ख़ुदा उनसे इस (बात पर) ज़रूर ख़ुश हुआ ग़रज़ जो कुछ उनके दिलों में था ख़ुदा ने उसे देख लिया फिर उन पर तस्सली नाज़िल फरमाई और उन्हें उसके एवज़ में बहुत जल्द फ़तेह इनायत की |
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4602 | 48 | 19 | ومغانم كثيرة يأخذونها وكان الله عزيزا حكيما |
| | | और (इसके अलावा) बहुत सी ग़नीमतें (भी) जो उन्होने हासिल की (अता फरमाई) और ख़ुदा तो ग़ालिब (और) हिकमत वाला है |
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4603 | 48 | 20 | وعدكم الله مغانم كثيرة تأخذونها فعجل لكم هذه وكف أيدي الناس عنكم ولتكون آية للمؤمنين ويهديكم صراطا مستقيما |
| | | ख़ुदा ने तुमसे बहुत सी ग़नीमतों का वायदा फरमाया था कि तुम उन पर काबिज़ हो गए तो उसने तुम्हें ये (ख़ैबर की ग़नीमत) जल्दी से दिलवा दीं और (हुबैदिया से) लोगों की दराज़ी को तुमसे रोक दिया और ग़रज़ ये थी कि मोमिनीन के लिए (क़ुदरत) का नमूना हो और ख़ुदा तुमको सीधी राह पर ले चले |
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4604 | 48 | 21 | وأخرى لم تقدروا عليها قد أحاط الله بها وكان الله على كل شيء قديرا |
| | | और दूसरी (ग़नीमतें भी दी) जिन पर तुम क़ुदरत नहीं रखते थे (और) ख़ुदा ही उन पर हावी था और ख़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर है |
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